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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार की अपराध के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अब कागज़ों से निकलकर ज़मीन पर सशक्त कदमों के रूप में देखी जा सकती है। प्रदेश की सड़कों पर अब न अपराधियों की दहशत है न उनके नेटवर्क का खुला खेल। पुलिस की सख्त कार्रवाई खासकर मुठभेड़ों के रूप में अब अपराध के खिलाफ राज्य की नई भाषा बन चुकी है।

खून की आंच में पिघलती बंदूकें, मुठभेड़ों का आंकड़ा

जनवरी 2025 से मई 2025 के बीच उत्तर प्रदेश की धरती पर कुल 12964 मुठभेड़ें दर्ज की गईं  यानी हर दिन औसतन 85 बार कानून ने अपराध से सीधा टकराव किया। इन टकरावों में अब तक 8 ऐसे कुख्यात अपराधियों को यमलोक भेजा गया जिनकी फाइलें थानों की अलमारियों में सालों से धूल फांक रही थीं। इनमें से अधिकतर बदमाशों पर हत्या फिरौती डकैती और अपहरण जैसे संगीन अपराधों के मुकदमे दर्ज थे  और कुछ पर सरकार ने लाखों रुपये का इनाम घोषित कर रखा था।

शामली की वह सर्द रात, जब इंसाफ ने चार लाशें गिराईं

जनवरी की ठिठुरती रात... 20-21 तारीख की दरमियानी रात को शामली ज़िले की साँसें जैसे थम-सी गई थीं। अंधेरे में एक तूफानी मुठभेड़ ने चार अपराधियों की ज़िंदगियों का अंतिम अध्याय लिखा। ये चारों  अरशद मनजीत उर्फ जुबैर सतीश और एक अज्ञात साथी  कग्गा गैंग के खूँखार सदस्य थे जो अपराध की दुनिया में अपनी बेरहम छवि के लिए कुख्यात थे। अरशद सहारनपुर का रहने वाला नवंबर 2024 की बहुचर्चित डकैती में मुख्य आरोपी था जबकि हरियाणा के मनजीत ने हत्या के अपराध में 20 साल की सजा काटने के बाद पैरोल पर रिहा होते ही फिर से खून का खेल शुरू कर दिया था। मगर इस ऑपरेशन में कानून की यह जीत एक कीमत लेकर आई  यूपी एसटीएफ के जांबाज़ इंस्पेक्टर सुनील काकरण जो गोलियों से छलनी हो गए और अस्पताल में दम तोड़ दिया। उस रात सिर्फ अपराधी नहीं मरे बल्कि एक अफसर का सपना भी शहीद हुआ  अपने प्रदेश को सुरक्षित देखने का सपना।

मैनपुरी की रात जब जीतेन्द्र का ‘अंत’ लिखा गया

28-29 अप्रैल की रात मैनपुरी के तरापुर कट ब्रिज के पास गोलियों की गूंज सुनाई दी। सड़क पर बिखरे कारतूस और खून के धब्बे गवाही दे रहे थे  जीतेन्द्र अब नहीं रहा। 1 लाख रुपये के इनामी इस बदमाश पर हत्या और डकैती के कई मुकदमे दर्ज थे और हाथरस की गलियों में उसका नाम लेते ही डर की परछाइयाँ फैल जाती थीं। वह मुठभेड़ में घायल हुआ और अस्पताल में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

कौशाम्बी में एनएच-2 बना अपराध की कब्रगाह

17 मई 2025 को कौशाम्बी के ककोड़ा गांव के पास एनएच-2 की सड़क पर संतोष उर्फ राजू की गाड़ी रुक गई  मगर हमेशा की तरह नहीं। वो भाग नहीं सका गोलियों से ज़ख़्मी हुआ और अस्पताल पहुँचने से पहले ही मौत ने उसका नाम पुकार लिया। जौनपुर के पोरई कलां का रहने वाला यह 38 वर्षीय अपराधी हाल ही में 4 करोड़ रुपये के माल की ट्रक लूट में शामिल था और ड्राइवर की बेरहमी से हत्या कर चुका था। कानून ने उसे भागने का वक्त नहीं दिया।

गोंडा में गिरे ‘भूरे’ के नकाब

20 मई को गोंडा ज़िले के सोनौली मोहम्मदपुर बंधा क्षेत्र में पुलिस और सोनू पासी उर्फ भूरे के बीच टकराव हुआ। भूरे जिस पर 53 संगीन मुकदमे दर्ज थे और जिसके नाम से व्यापारी थर-थर कांपते थे पुलिस पर गोली चलाने की भूल कर बैठा। जवाबी फायरिंग में गोली उसका सीना चीर गई। जिला मेडिकल कॉलेज में उसकी मौत हो गई और एक अपराध कथा का अंत हुआ।

लॉरेंस बिश्नोई गैंग का शिकारी ढेर

28 मई 2025 की रात हापुड़ की गलियों में अंधेरे और सन्नाटे के बीच एक ऑपरेशन हुआ जिसे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और यूपी एसटीएफ की नोएडा इकाई ने अंजाम दिया। टारगेट था  नवीन कुमार गाजियाबाद के लोनी का रहने वाला लॉरेंस बिश्नोई गैंग का खूँखार शार्पशूटर। नवीन पर हत्या लूट और मकोका जैसे गंभीर धाराओं के तहत 20 से अधिक केस दर्ज थे। दो मामलों में वह अदालत से दोषी ठहराया जा चुका था। उस रात उसकी बंदूक चली  मगर आखिरी बार।

आँकड़े जो तस्वीर बयां करते हैं

मार्च 2017 से मई 2025 तक यानी आठ वर्षों में 222 अपराधी पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए  जिनमें से 207 की मौत 2024 तक हो चुकी थी। 2025 के पहले पांच महीनों में 8 और अपराधी ढेर किए गए हैं। इस दौरान 8118 अपराधी घायल हुए और 20221 इनामी अपराधी गिरफ्तार किए गए। गैंगस्टर एक्ट के तहत 79984 आरोपियों पर शिकंजा कसा गया और 930 अपराधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाया गया।

अपराध की जड़ें उखाड़ने की नीति

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता संभालते ही साफ कर दिया था  अपराध और माफिया के लिए उत्तर प्रदेश अब सुरक्षित ठिकाना नहीं होगा। नतीजतन राज्यभर में पुलिस को खुली छूट मिली। 66000 हेक्टेयर से अधिक सरकारी जमीन को माफियाओं के कब्जे से छुड़ाया गया और 142 अरब रुपये की अवैध संपत्ति जब्त या ध्वस्त की गई। यह कार्रवाई सिर्फ सरकारी आंकड़ा नहीं बल्कि एक वैचारिक युद्ध की झलक है  जो अपराध के खिलाफ चल रहा है।

विवादों की लपटें, फर्जी मुठभेड़ों का सवाल

जहाँ सरकार अपनी उपलब्धियों को गर्व से गिनाती है वहीं विपक्ष ने बार-बार इन मुठभेड़ों को “फर्जी” कहकर सवाल उठाए हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि खास समुदायों को टारगेट किया जा रहा है। जवाब में पुलिस ने आंकड़े जारी किए  अब तक मारे गए 207 अपराधियों में 67 मुस्लिम 20 ब्राह्मण 18 ठाकुर 16 यादव और अन्य जातियों के लोग भी शामिल थे। पुलिस का दावा है कि सभी मुठभेड़ें सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार हुई हैं और अब तक किसी भी मुठभेड़ में कोई गड़बड़ी साबित नहीं हुई है।

 

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