नई दिल्ली,02 अगस्त। आने वाले सोमवार यानि तीन अगस्त को जहां पूरे भारत वर्ष में भाई- बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन के त्यौहार की तैयारियां चल रही हैं वहीं राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में एक गांव ऐसा भी है जहां के निवासी रक्षाबंधन के दिन को मनहूस मानते हैं। रक्षाबंधन पर इस गांव में भाइयों कलाइयां सूनी रहती हैं। यह सब 12वीं सदी से होता आ रहा है। यहां की बहुएं तो अपने मायके जाकर भाइयों को राखी बांधती हैं, लेकिन बहने अपने भाइयों को राखियाँ नहीं बांधती जिसके चलते रक्षाबंधन के दिन भाइयों की कलाई सुनी रहती हैं।
गाजियाबाद की मोदीनगर तहसील में एक गांव है सुराना। जहां सैकड़ों साल से रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। गांव के लोग बताते हैं कि 12वीं सदी में मोहम्मद गौरी ने इस गांव पर कई बार आक्रमण किया। लेकिन जब वह इस गांव में आक्रमण करने आता था तो हर बार उसकी सेना अंधी हो जाती और वह पस्त होकर वापस लौट जाता था। गांव की बुजुर्ग महिला अनारो देवी बताती हैं कि इस गांव में एक देव थे जो पूरे गांव को सुरक्षित रखा करते थे।
तभी से इस पूरे गांव में रक्षाबंधन नहीं मनाया जाता है। गांव राजेन्द्र कुमार बताते हैं कि यहां की बहु अपने मायके अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती है। जबकि यहां की लड़कियां अपने भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधती ।बुजुर्ग लोगों का कहना है कि इस गांव के लोग यदि बाहर जाकर भी बस गए हैं तो वह भी रक्षाबंधन के त्यौहार को नहीं मनाते। वे इसे मनहूस मानते हैं। इसके कारण भाइयों की कलाई सूनी रहती है।