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भारत का पहला सोलर मिशन यानी सूर्य की स्टडी करने वाले स्पेसक्राफ्ट आदित्य एल वन की लॉन्चिंग अगस्त में होगी। खुद इसरो के चीफ एस सोमनाथ ने घोषणा की है भारतीय सूर्ययान यानी आदित्य एल वन में सात पेलोड हैं, जिनमें से छह पेलोड और बाकी संस्थानों ने बनाया है। आदित्य एल वन स्पेसक्राफ्ट को धरती और सूरज के बीच एलवन ऑर्बिट में रखा जाएगा। यानी सूरज और धरती के सिस्टम के बीच मौजूद पहला लैरी जीन पॉइंट।

यहीं पर आदित्य एल वन को तैनात किया जाएगा। यह रेजिंग पॉइंट असल में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस माना जाता है, जहां पर कई उपग्रह तैनात किए गए हैं। यदि भारत का सूर्यास्त धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित इस पॉइंट पर तैनात किया जाएगा। इस जगह से वह सूरज का अध्ययन करेगा, जो सूरज के करीब नहीं जाएगा।

जीएलसी का आइडिया और उसे बनाने में 15 साल लगे हैं क्योंकि एक बेहद जटिल पेलोड है। अभी आदित्य एलवन स्पेसक्राफ्ट में सेट किया जाएगा। उसके बाद उनकी एक बड़ी टेस्टिंग होगी। फिर इन्हें पीएसएलवी रॉकेट में तैनात करके लॉन्चिंग पैड तक पहुंचाया जाएगा। ये पेलोड में लगा वैज्ञानिक कैमरा सूरज की हाई रिजोल्यूशन तस्वीर लेगा।  साथ ही स्पेसक्राफ्ट कॉपी और पहली बैटरी भी करेगा।

अगर बाकी देशों के सोलर मिशन की बात करें अब तक 22 सूर्य मिशन भेजे जा चुके हैं। दुनियाभर में हुए इन 22 सूर्य मिशन में कई सफल हुए तो एक फेल भी हुआ। सूरज पर अब तक अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने कुल मिलाकर 22 मिशन भेजे हैं। इनमें से एक ही मिशन फेल हुआ। एक आंशिक रूप से सफलता हासिल कर पाया। सबसे ज्यादा मिशन अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने भेजे।

नासा ने पहला सूर्य मिशन पायनियर फाइल साल 1960 में भेजा था। नासा ने अकेले 14 मिशन सूर्य पर भेजे। इनमें से 12 मिशन सूरज के ऑर्बिट में हैं। यानी सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाते हैं। भारत का यह पहला सोलर मिशन होने वाला है। सूरज के इतने पास पहुंचने का भारत का यह पहला मौका होगा, जिसमें पास होने की भारत की संभावना काफी हाई है। 

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