इन देशों में बड़े चाव से होता है टिड्डियों का नाश्ता

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नई दिल्ली।। इन दिनों देश के कुछ राज्यों में टिड्डियों के हमले से लोग काफी परेशान हैं लेकिन इस बार टिड्डियों का हमला पहले के मुकाबले ज्यादा बड़ा है। ऐसा माना जा रहा है कि टिड्डियों के हमले से लोगों काफी नुकसान झेलना पड़ सकता है। टिड्डियों से सबसे ज्यादा नुकसान हरे भरे स्थानों को होगा। देखा जा रहा है कि हरे-भरे इलाके ही टिड्डियों की खुराक बन रहे हैं। टिड्डियों को फसलों के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है। साथ ही ये अर्थ-व्यवस्था और जीवन सभी के लिए बड़े खतरे का संकेत है। कहा जा रहा है कि ये खतरा कई हफ्तों तक भी बना रह सकता है।

Locust attack upkiran

हालाँकि एक तरफ जहां कई देशों में टिड्डियों से लोग बेहद परेशान हैं और उनसे बचने के लिए तरह-तरह के उपाय भी किये जाते हैं तो वहीं ऐसे भी कई देश हैं, जहां पर उन्हें बड़े चाव के साथ खाया जाता है। रिसर्च में पता चलता है कि ऐसे बहुत से कीड़े-मकौडे़ और टिड्डे हैं जो प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों का अच्छा स्त्रोत होते हैं।

Locust party

आपको बता दें कि 1980 के दशक के आखिर में जब कुवैत पर बड़े स्तर पर टिड्डियों का हमला हुआ तो वहां के स्थानीय निवासियों ने टिड्डों को इकट्ठा कर, उन्हें खाना शुरू कर दिया। हालांकि इन टिड्डों पर कीट नाशकों का छिड़काव किया गया था।

Grasshopper breakfast

बाद में रिसर्च से सामने आया कि इन पर केमिकल्स के छिड़काव की वजह से इनमें फास्फोरस और अन्य केमिकल तत्व बने रहते हैं। जिससे इंसान के शरीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इन केमिकल्स का किडनी, लीवर और हृदय पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यहां तक कि व्यक्ति को आस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी तक हो सकती है।

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वहीं, हाल ही में जब पूर्वी अफ्रीका में टिड्डों का हमला हुआ था तो वहां पर एक अभियान शुरू किया गया था और कहा गया था कि उन टिड्डों को कोई ना खाये। चाहे वो जिंदा हो या फिर मरा हो। क्योंकि कीटनाशक से कई बार कीट तुरंत नहीं मरते हैं। अफ्रीका में भी लोग इसका खाने में इस्तेमाल करते हैं। मेडागास्कर में तो लोगों ने इसे पशुआहार भी बनाया। वो आज भी ऐसा ही करते हैं।

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हालांकि टिड्डों को खाना हमेशा से खतरनाक नहीं रहा है। जब अफ्रीका में टिड्डों का हमला होता था तो लोग उन्हें जुटा कर भोजन के रूप में इस्तेमाल करने लग जाते थे। मध्य पूर्व में खाड़ी देशों और दक्षिण एशियाई देशों के लोग भी ऐसा ही करते आये हैं।

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यहीं नहीं लातीनी अमेरिकी देशों में भी टिड्डों का खाने में इस्तेमाल किया जाता रहा है। चूंकि टिड्डों का खतरा प्राचीन काल से ही है, इसलिए मनुष्य ने उन्हें भोजन में शामिल करना शुरू कर दिया। अमेरिका के मूल निवासी बहुत पहले से ही टिड्डे और अन्य कीटों को खाया जाता रहा है।

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‘बाइबल’ में इस बात का जिक्र है कि क्राइस्ट का एक जॉन नाम का एक शिष्य जब जंगलों में निवास करता था तो वो टिड्डियों और मधुमक्खियों का सेवन करता था। इसलिए कुछ लोग ये तर्क देते हैं कि ये शाकाहारी भोजन है।

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