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कनाडा में रहने वाले आम सिख समुदाय का खालिस्तान गड़बड़ी से कोई लेना-देना नहीं है. मगर ट्रूडो खुले तौर पर खालिस्तान का समर्थन करते हैं और इसे विचार की स्वतंत्रता का दर्जा देते हैं। भारत ने कनाडा से सबूतों के साथ करीबन 25 लोगों की हिरासत की मांग की, जिन्होंने भारत के विरूद्ध साजिश रची थी; मगर ट्रूडो ने इस मांग को नजरअंदाज कर दिया. उनके कार्यकाल में कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों के साथ विदेशियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है.

भारत के विरूद्ध जनमत जुटाने पर मौन सहमति देकर ट्रूडो अपनी सत्ता बचाने के लिए देश की बलि चढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे भारत को इस हद तक बदनाम करना चाहते हैं कि इससे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की इच्छा पर ग्रहण लग जाएगा। वे पाकिस्तान की तरह आतंकवादियों को पनाह देकर भारत की संप्रभुता पर हमला कर रहे हैं। भारत और कनाडा के बीच बहुत अच्छे व्यापारिक संबंध हैं और वहां पढ़ने वाले लगभग 40 % विदेशी छात्र भारतीय हैं।

ऐसे में सवाल उठता है- कनाडा का क्या होगा? क्या यह देश भी पाकिस्तान की राह पर चलेगा? पाकिस्तान ने भारत के विरूद्ध दहशतगर्द समूह बनाए, उन्हें संरक्षण दिया, देश में धार्मिक नफरत फैलाई। आज आतंकवाद ने पाकिस्तान को काफी बर्बाद कर दिया है। ट्रूडो यह कैसे नहीं समझते कि खालिस्तानी दहशतगर्द अंततः कनाडा को ही नष्ट कर देंगे?

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में खालिस्तान का निर्माण असंभव है. अगर एक दिन कनाडा में ही खालिस्तान बनाने की मांग उठने लगे तो क्या होगा? मिस्टर ट्रूडो, सावधान रहें। अपनी सीट बचाने के लिए कनाडा का बलिदान मत करो, नहीं तो आपका कनाडा पाकिस्तान बन जाएगा!

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