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आज देश भर में अनंत चतुर्दशी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है।अनंत चतुर्दशी को ही भगवान गणेश की प्रतिमा का विसर्जन भी किया जाता है। 10 दिन पहले बप्पा घर-घर पधारे आज उनकी विदाई की बेला है। आज बप्पा को विधि विधान के साथ विदा किया जा रहा है। इसके साथ ही देशभर में पिछले 10 दिनों से चल रहे गणेश उत्सव का समापन हो जाएगा। मुंबई में गणपति विसर्जन की खास तैयारियां की गई हैं। पंडालों के अलावा घर घर विघ्नहर्ता गणेश विराजे हुए हैं। कुछ लोग गणेश स्थापना के तीसरे, पांचवें और सातवें दिन विसर्जन करते हैं तो कुछ पूरे दस दिन होने के बाद ही मंगल की कामना करते हुए गणेश विसर्जन करते हैं। वहीं देशभर में आज लोग बप्पा की प्रतिमा को विसर्जन कर रहे हैं।

 मुंबई समेत राज्य के अन्य हिस्सों में गजानन को अगले वर्ष फिर आने का न्योता देने के साथ ही समुंद्र, नदियों, तालाबों और अन्य जलाशयों में विसर्जन किया जा रहा है। बता दें कि मुंबई में 10 दिनों तक भगवान गणेश की पूजा अर्चना होती है। इसके लिए विशाल पंडाल बनाए जाते हैं, जिसे देखने के लिए देश दुनिया से लाखों लोग जुटते हैं। मायानगरी मुंबई शहर बप्पा की भक्ति में रंगा हुआ है।

 मुंबई की सड़कों पर बप्पा की विदाई देने के लिए लाखों लोगों का सैलाब उमड़ा है। जब-जब भगवान गणेश की प्रतिमा की विदाई का समय आता है तब लाखों लोगों की आंखें भी नाम होती है। मुंबई में आज छुट्टी जैसा माहौल है। क्या आम हो क्या खास सभी घरों और पंडालों से बप्पा को विदाई दे रहे हैं। भगवान को पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ विदा किया जाएगा, ये कहते हुए कि अगले बरस तू जल्दी आ, अनंत चतुर्दशी पर गणपति की विदाई होती है उस दिन मुंबई के सारे रास्ते समंदर किनारे जाते हैं।

मुंबई में सुबह से शुरू हुआ बप्पा का जुलूस देर रात तक चलता है--

बप्पा की विदाई के दिन बड़े स्तर पर जुलूस मुंबई की सड़कों पर निकाले जाएंगे और अंत में सभी प्रतिमाओं को विसर्जित किया जा रहा है। बता दें कि गणेश उत्सव के अंतिम दिन यानी अनंत चतुर्दशी के दिन जो जुलूस निकलता है वो घंटों तक निकाला जाता है। इस दौरान सड़कों पर ढोल-बाजे के साथ धूमधाम से भक्त गणेश भगवान को विदाई देते है। लोग एक-दूसरे को गुलाल लगाते हुए पारंपरिक नृत्य और संगीत के बीच गणपति का विसर्जन करते हैं। विदाई के दौरान लाखों की संख्या में भक्त जुटते है। इस भीड़ को काबू में करने के लिए ही मुंबई में हजारों की संख्या में पुलिस बल की तैनात है। सुबह से शुरू हुआ विदाई जुलूस देर रात तक चलता है और कहीं-कहीं तड़के भी बप्पा की प्रतिमा को समुद्र में विसर्जित किया जाता है।अनंत चतुर्दशी के मौके पर अनंत धागा बांधने का विशेष महत्व है। 

माना जाता है कि आज के दिन अनंत धागा बांधने से व्यक्ति को हर तरह की परेशानियों से निजात मिल जाती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। गणेश चतुर्थी के दिन लोग अपने घरों में भगवान गणेश की प्रतिमा को स्थापित करते हैं। इसके 10 दिन बाद अनंत चतुर्दशी के दिन यानी आज भगवान गणेश की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।  

मुंबई के गिरगांव, दादर, जुहू, मार्वे और अक्सा समुद्र तटों सहित 73 स्थानों पर हजारों घरेलू और सार्वजनिक गणेश मूर्तियों का विसर्जन किया जाएगा। गिरगांव चौपाटी पर विसर्जन के दौरान वीआईपी भी बप्पा को विदाई देने आते हैं, उनके लिए विशेष व्यवस्था की गई है। बीएमसी ने भी लोगों से विसर्जन के दौरान अंधेरे या एकांत क्षेत्रों से दूर रहने की अपील की।

 

मुंबई के लालबाग राजा के पंडाल और विदाई में सबसे ज्यादा भक्तों की उमड़ती है भीड़--


हर साल गणेश उत्सव के दौरान मुंबई के लाल बाग में स्थित लालबाग राजा के पंडाल में लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। ऐसे ही विसर्जन के दौरान लाखों लोग मुंबई की सड़कों पर अपने लालबाग राजा को विदा करते हैं। हर साल सबसे ज्यादा चर्चा मुंबई के गणेश उत्सव की होती है, और कहा जाता है कि मुंबई में भी सबसे ज्यादा श्रद्धालु लाल बाग के राजा के पंडाल में जुटते हैं। दरअसल, श्रद्धालुओं का विश्वास है कि लाल बाग के राजा के दर्शन भर से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। मुकेश अंबानी से लेकर शाहरुख खान तक, अमित शाह से लेकर स्मृति ईरानी तक, सब बप्पा के भक्त हैं। इस बार भी ये सभी बप्पा का दर्शन करने पहुंचे थे। 

गणेश उत्सव के दौरान हर साल लगभग एक करोड़ लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां देश और विदेश से रोजाना लाखों श्रद्धालु कई घंटे इंतजार कर लंबी लाइन में लगकर बप्पा के दर्शन करने पहुंचते हैं। ये मुंबई के लालबाग परेल इलाके में हैं, इसीलिए इन्हें 'लालबागचा राजा' के नाम से पुकारा जाता है। यहां मिलने वाला दान भी करोड़ों में होता है। आज लालबाग राजा को भी विदा किया जा रहा है। यहां करीब 90 सालों से मूर्ति रखी जाती है। मूर्ति रखने के पीछे का इतिहास भी बेहद दिलचस्प है। एक जमाने में मुंबई के लाल बाग के व्यापारियों का कारोबार घाटे में चलता था।

व्यापारी चाहते थे कि लालबाग के एक खुली जगह पर भी बाजार लगने लगे। कहते हैं इसी इच्छा के साथ कुछ व्यापारियों ने लाल बाग के राजा के पंडाल की स्थापना की थी। लालबाग के राजा की मूर्ति स्थापित हो जाने के बाद व्यापारियों की मनोकामना पूरी होने में वक्त नहीं लगा। इसके बाद से ही यहां लाल बाग के राजा की स्थापना हर साल होने लगी। लाल बाग के गणपति का उत्सव साल दर साल और भव्य होता जा रहा है।

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