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असम प्लेन्स से किबिथु के नजदीक लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) की ओर बढ़ते हुए धीरे धीरे अहसास होने लगता है कि यहां फोन नेटवर्क कनेक्टिविटी कितनी खराब है। लगभग 230 किलोमीटर आगे हेयुलियॉन्ग तक मोबाइल कनेक्टिविटी है। यहां 4जी कनेक्टिविटी होने से फोन इंटरनेट भी तेज है, पर ये ज्यादा आगे तक नहीं रहता। हेयुलियॉन्ग से चंद किलोमीटर आगे फिर सिग्नल लगभग हर जगह गायब। हेयुलियॉन्ग से किबिथु की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है।

एलएसी से लगभग दस किलोमीटर दूर किबिथु मिलिट्री स्टेशन है, जिसका नाम अब जनरल बिपिन रावत मिलिट्री स्टेशन रखा गया है। इस स्टेशन के नजदीक जैसे ही पहुंचे तो फोन पर सिग्नल के साथ ही मैसेज भी आया- 'वेलकम टू चीन'। साथ ही रोमिंग पैक चुनने की सलाह भी। हिंदुस्तानी क्षेत्र में मोबाइल नेटवर्क सही नहीं है लेकिन चीन ने एलएसी के करीब बहुत पहले ही कम्युनिकेशन नेटवर्क बहुत मजबूत कर लिया था। इसलिए किबिथु और एलएसी से सटे हिंदुस्तानी गांवों में अक्सर चीन के सिगनल पकड़ते हैं।

आपको बता दें कि चीन ने एलएसी के दूसरी ओर कई हाई टेक गांव बनाए हैं और भारतीय सेना को ये टेंशन है कि चीन इसका दोहरा इस्तेमाल (सिविल के साथ मिलिट्री उद्देश्य) किस तरह कर रहा है।

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