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अयोध्या। साल 2019 में आये सुप्रीम कोर्ट के सुप्रीम फैसले के बाद उत्तर प्रदेश की धर्मनगरी अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के भव्य मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। मंदिर में लगाए जा रहे पत्थरों को देख कर ही पता चल रहा है कि मंदिर का सबसे बड़ा आकर्षण का केंद्र पत्थरों पर उकेरी जाने वाली नक्काशी है। वास्तु शास्त्र के जानकारों का कहना है कि भगवान राम का मंदिर नागर शैली में किया जा रहा है, जिसका डिजाइन गुजरात के सोमपुरा की फैमिली ने तैयार किया है।

आपको बता दें कि मंदिर का नक्शा उत्तर भारत की नागर शैली पर बनाया गया है। नागर शैली उत्तर भारतीय हिंदू स्थापत्य कला के तीन शैलियों में से एक शैली है। अयोध्या में हो रहे रामलला के मंदिर निर्माण (Ayodhya Ram Mandir) में राजस्थान से बंसी पहाड़पुर के पत्थरों का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर में प्लिंथ का काम लगभग पूरा हो गया है। वहीं अभी गर्भ गृह का निर्माण कार्य किया जा रहा है। ट्रस्ट कि कोशिश है कि जनवरी 2024 तक भगवान राम अपने गर्भ गृह में विराजमान हो जाएं और भक्तों को दर्शन दें।

नागर शैली में बने प्रसिद्ध मंदिर

विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा के अनुसार भारत में नागर शैली में बने कुछ प्रसिद्ध मंदिरों की बात करें तो इसमें गुजरात का सोमनाथ मंदिर, मध्य प्रदेश के खुजराहो और उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी प्रमुखता से आता है। (Ayodhya Ram Mandir)

क्या है नागर शैली?

शरद शर्मा कहते हैं कि नागर शैली में बने मंदिर चतुर्भुज होते हैं। इसका पहला शिखर ऊंचा होता है। उसके बाद मंडप बने होते हैं। इसके गर्भ गृह के चारों तरफ ढका हुआ प्रदक्षिणा पथ भी होता है। उन्होंने बताया कि चीन काल में राजा महाराजा राजस्थान से पत्थर लाकर मंदिर का निर्माण कराते थे क्योंकि वहां पर दो प्रकार के पत्थर होते हैं। एक पिंक स्टोन और दूसरा रेड स्टोन पिंक स्टोन। इन दोनों ही पत्थरों पर आसानी से नक्काशी की जा सकती है। इस दृष्टि से इस शैली को अपनाया गया है। (Ayodhya Ram Mandir)

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