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Badrinath Dham: बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने पर साधु-संतों का बड़ा जमावड़ा लगता है, जो भक्तों की आस्था का प्रतीक बनते हैं। श्रद्धालु इन साधुओं को दान में सिक्के और रुपये देकर अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं। यात्रा सीजन के दौरान साधु-संत लाखों रुपये की कमाई कर लेते हैं। भगवान विष्णु की तपस्या के स्थान पर, दान और ध्यान का विशेष महत्व होता है। यही से साधुओं की मोटी कमाई होती है।
साधु कठिनाइयों के बावजूद जैसे बर्फबारी और बारिश में आस्था पथ पर बैठे रहते हैं। साधु गोविंददास, जो पिछले 20 वर्षों से यहां आते हैं, उन्होंने इस धाम से गहरा आत्मीय लगाव बताया है। साधु अलग अलग और दूर दराज प्रदेशों से आते हैं और कई धनाढ्य संतों के पास धर्मशाला और कुटिया भी होती है।
धाम में साधु-संत दान से कमाई करते हैं और भंडारों में भी जाते हैं। कपाट बंद होने के बाद ये साधु शीतकाल में छह महीने तक तपस्या करते हैं, जिसके लिए उनके शिष्य राशन एकत्रित करते हैं। साधुओं को तपस्या के लिए प्रशासन से अनुमति लेनी होती है।
इस प्रकार बदरीनाथ धाम धार्मिक आस्था और साधु-संतों की तपस्या का प्रतीक है, जो यहां की संस्कृति और परंपरा को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।