अमरीका के प्रेसिडेंट निर्वाचित हुए जो बाइडेन हिंदुस्तान के बड़े समर्थक रहे हैं और हिंदुस्तान-अमरीका के बीच मजबूत रिश्ते को उन्होंने हमेशा अहमियत दी है।
सीनेटर और उपप्रेसिडेंट के तौर पर उन्होंने हिंदुस्तान के पक्ष में कई ऐसे कदम उठाए थे, जिनकी वह से उम्मीद की जा रही है हिंदुस्तान के साथ उनका नाता सकारात्मक होगा। दो परिपक्व और जीवंत लोकतंत्र के रूप में हिंदुस्तान और अमरीका के कई साझा हित हैं। रणनीति, राजनीति, डिफेंस, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्पेस के क्षेत्र में दोनों राष्ट्र लंबे समय से साथ काम कर रहे हैं और दोनों राष्ट्रों के बीच रिश्ता निरंतर मजबूत होता नजर आ रहा है।
बाइडेन 1978-2008 तक एक सीनेटर के तौर पर और 2009 से 2016 तक उपप्रेसिडेंट के तौर पर कई बार मजबूती से हिंदुस्तान के पक्ष में खड़े रहे। बाइडेन जब सीनेटर और विराष्ट्र सम्बन्ध समिति के चेयरमैन थे तब उन्होंने हिंदुस्तान के पक्ष में कई प्रस्तावों का समर्थन किया।
अगस्त 2001 में उन्होंने तब के प्रेसिडेंट जॉर्ज डब्ल्यू बुश को लेटर लिखकर हिंदुस्तान पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की अपील की थी। इसके अलावा 2008 में उन्होंने हिंदुस्तान-अमरीका के बीच असैन्य परमाणु समझौते को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। वह इंटरनेशनल लेवल पर हिंदुस्तान के एक्टिव रोल के हिमायती रहे हैं।
पीएम मोदी का बराक ओबामा की अगुआई में डेमोक्रेटिक शासन और अमेरिकी प्रशासन के साथ अच्छा संबंध रहा है, उस समय जो बाइडेन उपप्रेसिडेंट थे। ओबामा 2010 में हिंदुस्तान आए थे तो उपप्रेसिडेंट जो बाइडेन 2013 में चार दिवसीय हिंदुस्तान दौरे पर आए थे। तब उन्होंने प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी और उपप्रेसिडेंट हामिद अंसारी से मुलाकात की थी।
उन्होंने मुंबई में कारोबारियों के साथ भी बैठक की थी। सितंबर 2014 में जब पीएम मोदी अमरीका गए तो बाइडेन ने उनके लिए लंच का आयोजन किया था। 2016 में उन्होंने कांग्रेस के जॉइंट सेशन की अध्यक्षता की थी, जिसे पीएम मोदी ने संबोधित किया था।
अमेरिकी प्रेसिडेंट बनने के बाद बाइडेन के पास अमरीका और हिंदुस्तान के बीच संबंधों को मजबूत करने के उनके 14 साल पुराने ख्वाब को पूरा करने का एक मौका है।
इसे पुराना सपना इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि बाइडेन ने दिसम्बर सन् 2006 में एक समाचार पत्र से बातचीत में कहा था कि मेरा ख्वाब है कि 2020 में विश्व के 2 सबसे करीबी राष्ट्र हिंदुस्तान और अमरीका हों। अगर ऐसा होता है तो दुनिया पहले से अधिक सुरक्षित होगी।