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Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के लगभग नौ हजार सरकारी राशन वितरकों को दीपोत्सव से पहले एक खास तोहफा मिलने वाला है। लंबे समय से केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अलग-अलग दरों पर लाभांश मिलने की समस्या पर अब बदलाव की उम्मीद बढ़ गई है। विभाग की मंत्री रेखा आर्या ने इस बात पर जोर दिया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) और राज्य खाद्य योजना (एसएफवाई) के तहत मिलने वाले लाभांश को समान स्तर पर लाया जाए। इसका सीधा असर राशन विक्रेताओं की आमदनी पर होगा और वे बेहतर सेवाएं दे सकेंगे।

राज्य सरकार की योजना में सुधार का दबाव

खाद्य आयुक्त चंद्रेश कुमार का कहना है कि राशन विक्रेताओं की मांग वर्षों से यही रही है कि राज्य योजना के तहत मिलने वाला लाभांश भी केंद्र सरकार की तरह प्रति क्विंटल 180 रुपये हो। फिलहाल केंद्र 180 रुपये देता है, जबकि राज्य सिर्फ 50 रुपये ही दे पाता है। इस असमानता को खत्म करने के लिए खाद्य विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है, जो जल्द ही अंतिम मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।

अगर मंजूरी मिली तो क्या होगा

मंत्री रेखा आर्या ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दोनों योजनाओं के तहत राशन विक्रेताओं को मिलने वाले लाभांश की रकम बराबर होनी चाहिए। अगर शासन से हां हुई तो राज्य योजना के तहत भी विक्रेताओं को केंद्र सरकार के बराबर 180 रुपये प्रति क्विंटल लाभांश मिलेगा। इससे विक्रेताओं की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी।

लाभांश में यह बदलाव क्यों जरूरी

सरकारी राशन विक्रेता समाज के बेहद जरूरी कड़ी हैं, जो गरीबों तक खाद्य सामग्री सही समय पर पहुंचाते हैं। बेहतर लाभांश मिलने से उनकी मेहनत और जोखिमों का उचित मुआवजा मिलेगा। फिलहाल केंद्र और राज्य की दरों में भारी फर्क है, जो विक्रेताओं में असंतोष का कारण बनता है। समान लाभांश न केवल विक्रेताओं के मनोबल को बढ़ाएगा बल्कि खाद्य वितरण प्रणाली को भी मजबूत करेगा।