Up Kiran, Digital Desk: राजधानी दिल्ली में लाल किले के पास हुए धमाके मामले में सुरक्षा एजेंसियों को एक बड़ी कामयाबी मिली है. अब यह बात साफ़ हो गई है कि धमाके वाली कार में मौजूद शख़्स कौन था. एक छोटी सी वैज्ञानिक जांच ने इस पूरे मामले की गुत्थी सुलझा दी है और आतंक के एक बड़े चेहरे को बेनकाब कर दिया है.
कैसे हुई असली गुनहगार की पहचान?
धमाके के बाद से ही जांच एजेंसियां इस सवाल से जूझ रही थीं कि आखिर उस कार को कौन चला रहा था. घटनास्थल पर मिले सबूतों के आधार पर कई सुराग मिले, लेकिन असली पहचान को लेकर एक पुख्ता सबूत की तलाश थी. यह तलाश डीएनए टेस्ट पर आकर खत्म हुई
पुलिस ने घटनास्थल से मिले जैविक नमूनों (biological samples) को इकट्ठा किया.ये नमूने इतने छोटे और जले हुए थे कि पहचान करना बेहद मुश्किल था. इसके बाद, संदिग्ध आतंकी डॉक्टर उमर नबी के परिवार से संपर्क किया गया. जांच के लिए उसकी मां का डीएनए सैंपल लिया गया.
फोरेंसिक लैब में जब इन दोनों सैंपल्स का मिलान किया गया, तो रिपोर्ट ने सारे शक दूर कर दिए.घटनास्थल से मिले डीएनए और उमर की मां के डीएनए का मिलान हो गया. इस डीएनए रिपोर्ट ने इस बात की 100% पुष्टि कर दी कि धमाके के वक्त कार में आतंकी डॉक्टर उमर नबी ही मौजूद था और उसी ने इस हमले को अंजाम दिया धमाके में उसकी भी मौत हो गई.
क्या थी पूरी साज़िश?
जांच से यह भी पता चला है कि यह एक बड़ी साज़िश का हिस्सा था. उमर एक "व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल" से जुड़ा हुआ था, जिसमें पढ़े-लिखे लोग शामिल थे बताया जा रहा है कि इस मॉड्यूल की योजना दिल्ली में कई जगहों पर सिलसिलेवार धमाके करने की थी. हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की लगातार कार्रवाई और दबिश के कारण आतंकी घबरा गए माना जा रहा है कि पकड़े जाने के डर से उमर ने हड़बड़ी में इस धमाके को अंजाम दे दिया, जिसमें वह खुद भी मारा गया इस मामले में यह भी सामने आया है कि उमर तुर्की में बैठे अपने हैंडलर से लगातार संपर्क में था.
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