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बिहार की नीतीश सरकार ने आखिरकार आज जातिगत जनगणना की रिपोर्ट पेश कर दी है। प्रभारी मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह इसे लेकर एक किताब जारी की है। विवेक सिंह ने राजधानी पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बिहार में 2 करोड़ 83 लाख 44 हजार 160 परिवार हैं। इसमें '36 फीसदी अत्यंत पिछड़ा, 27 फीसदी पिछड़ा वर्ग और 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या बताई गई है। 

बिहार में जातीय जनगणना का काम नीतीश सरकार पूरा कर चुकी है। सोमवार को मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने इसकी रिपोर्ट भी जारी कर दी है। बिहार सरकार की तरफ से बिहार जाति आधारित जनगणना में कुल आबादी 13 करोड़ से ज्यादा बताई गई है। अधिकारियों के मुताबिक जाति आधारित गणना में कुल आबादी 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 बताई गई है। 

बिहार सरकार के प्रभारी विवेक सिंह ने बताया कि राज्य में सवर्णों की तादाद 15.52 फीसदी, भूमिहार की आबादी 2.86 फीसदी, ब्रहाणों की आबादी 3.66 फीसदी, कुर्मी की जनसंख्या 2.87 फीसदी, मुसहर की आबादी 3 फीसदी, यादवों की आबादी 14 फीसदी और राजपूत की आबादी 3.45 फीसदी है। 

बता दें कि इसी साल जनवरी से गणना का पहला चरण शुरू हुआ था। इस चरण में मकानों की सूचीकरण, मकानों को गिना गया। यह चरण 21 जनवरी 2023 को पूरा कर लिया गया था। जातीय गणना का दूसरा चरण 15 अप्रैल से शुरू हुआ था। जिसे 15 मई को पूरा हो जाना था। लोगों से डेटा जुटाए गए। 

दूसरे चरण में परिवारों की संख्या, उनके रहन-सहन, आय आदि के आंकड़े जुटाए गए। यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार चाहे तो गणना करा सकती है। इसके तुरंत बाद नीतीश सरकार ने जातीय गणना को लेकर आदेश जारी कर दिया था। 

मौके पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्वीट लिखा है कि यह ऐतिहासिक क्षण है, दशकों के संघर्ष का प्रतिफल है। बता दें कि बिहार सरकार ने विवादास्पद जाति आधारित सर्वेक्षण पूरा कर लिया है। नीतीश कुमार प्रशासन के तहत किया गया सर्वेक्षण काफी बहस और कानूनी जांच का विषय रहा है।

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