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Up Kiran, Digital Desk: क्या आपने कभी सोचा है कि एक ऐसा राज्य, जिसने भारत को पहला गणतंत्र दिया, वह लोकतंत्र के मूल्यों को कैसे जीवित रखता है? बिहार, जिसे अक्सर राजनीतिक उथल-पुथल के लिए जाना जाता है, दरअसल 'महान लोकतंत्र की सीट' (Seat of Great Democracy) के रूप में एक अनूठी और गहरी पहचान रखता है! भारत का पहला गणराज्य, वज्जि, यहीं से उत्पन्न हुआ था, और तब से लेकर आज तक, बिहार ने भारतीय राजनीति और लोकतंत्र के सिद्धांतों को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह केवल एक इतिहास की बात नहीं, बल्कि बिहार की जीवंत लोकतांत्रिक परंपरा का प्रतीक है.

बिहार: लोकतंत्र की प्रयोगशाला

बिहार का लोकतंत्र सिर्फ कागज़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वहाँ के लोगों की रग-रग में बसा हुआ है.

  1. गणतंत्र का जन्मस्थान: दुनिया के पहले ज्ञात गणराज्यों में से एक, वज्जि गणराज्य (Vajji Republic) बिहार में ही विकसित हुआ था. इसने दुनिया को दिखाया कि कैसे लोग खुद को एक शासक के बजाय मिलकर शासन कर सकते हैं.
  2. राजनीतिक चेतना: बिहार के लोग हमेशा से राजनीतिक रूप से जागरूक रहे हैं. वे मुद्दों पर चर्चा करते हैं, नेताओं पर सवाल उठाते हैं और अपने मताधिकार का उपयोग करके सत्ता पलट भी सकते हैं. यहाँ के लोगों में एक गहरी राजनीतिक समझ और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता देखने को मिलती है.
  3. सामाजिक न्याय का मंच: बिहार की राजनीति ने सामाजिक न्याय के कई महत्वपूर्ण आंदोलन देखे हैं. दलितों, पिछड़ों और वंचितों की आवाज़ यहाँ से सशक्त होकर राष्ट्रीय पटल पर आई है, जिसने भारतीय लोकतंत्र को और भी ज़्यादा समावेशी बनाया है.
  4. जीवंत चुनावी प्रक्रिया: यहाँ की चुनावी प्रक्रिया हमेशा से ही जीवंत, चुनौतीपूर्ण और अप्रत्याशित रही है. राजनीतिक दल एक-दूसरे को कड़ी टक्कर देते हैं, और मतदाताओं की भागीदारी हमेशा उत्साहजनक होती है.

बिहार ने भारतीय राजनीति को कई बड़े नेता दिए हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना प्रभाव डाला है.

वर्तमान बिहार और लोकतांत्रिक चुनौतियाँ

आज का बिहार भी लोकतांत्रिक चुनौतियों से अछूता नहीं है.

  1. परिवारवाद और जातिवाद: परिवारवाद और जातिवाद जैसी चुनौतियाँ यहाँ की राजनीति का एक अहम हिस्सा बनी हुई हैं.
  2. विकास के मुद्दे: राज्य में विकास और आर्थिक प्रगति अभी भी एक बड़ी चुनौती है, जिस पर राजनेताओं को ध्यान देना होगा.
  3. नए नेताओं का उदय: फिर भी, बिहार में लगातार नए और युवा नेता उभर रहे हैं जो राज्य की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और सशक्त बनाने में लगे हैं.

बिहार, अपने सभी उतार-चढ़ाव के साथ, भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार का एक मज़बूत स्तंभ बना हुआ है. इसकी यह क्षमता कि यह खुद को पुनर्परिभाषित करता रहे, इसकी महान लोकतांत्रिक विरासत का प्रमाण है.