पटना। कहा जाता है कि न्याय अगर समय से न मिले तो उस न्याय का कोई महत्व नहीं होता। भारत में जहां लम्बी न्यायिक प्रक्रियाओं के कारण न्याय में देरी होती है तो वहीं कुछ मामलों में न्याय मिलने के बाद उसका अनुपालन कराने में सिस्टम से हार मान जाता है। बिहार में बर्खास्तगी आदेश निरस्त होने के बावजूद उसे नौकरी में वापस नहीं लिए जाने से नाराज एक सिपाही ने आत्महत्या करने की धमकी दी है। उसने चेतावनी दी है कि यदि उसे न्याय नहीं मिला तो पटना हाईकोर्ट परिसर में ही आत्महत्या करेगा।
आपको बता दें कि छपरा के दाउदनगर निवासी नाग नारायण राय ने सिपाही पद के लिए 1989 में प्रकाशित विज्ञापन के तहत आवेदन दिया था। उन्हें 19 जून 1990 को सफल घोषित किया गया लेकिन वरीय अधिकारियों ने 24 अप्रैल 2003 को उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और 17 जुलाई 2003 को उसे नौकरी से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया। उन्होंने हाईकोर्ट में इस आदेश की वैधता को चुनौती दी। कोर्ट ने 19 अप्रैल 2019 को आवेदक के अर्जी को मंजूर करते हुए माना कि वरीय पुलिस पदाधिकारी ने गलत तरीका अपनाकर उसे नौकरी से हटाया है।
कोर्ट ने नौकरी से हटाए जाने की तारीख से उन्हें पुनः नौकरी में बहाल करने तथा उसी दिन से वेतन व अन्य सुविधा देने का आदेश दिया लेकिन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद आवेदक ने हाईकोर्ट में अवमानना का केस फरवरी माह में दायर किया लेकिन कोरोना महामारी के कारण उसके केस पर सुनवाई नहीं हो सकी है। उसका कहना है कि वह बेहद निर्धन है उसके पास केवल डेढ़ कट्ठा जमीन है। जिससे अब उसका अपने आठ सदस्यों वाले परिवार का पालन करना दुश्वार हो गया है। अब उसके पास मरने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। इसीलिए वह कह रहा है कि बेहतर होगा कि मैं आत्महत्या कर लूं।