प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना से बिहार बनेगा नए श्वेत क्रांति का नायक, इस जिले को मिला सबसे बड़ा फायदा

img

बेगूसराय, 12 सितम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार बेगूसराय को एक से बढ़कर एक तोहफा दे रही है। प्रधानमंत्री ने पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन विभाग के करीब 294 करोड़ की परियोजनाओं की शुरुआत बिहार में की तो उसमें सबसे बड़ा फायदा बेगूसराय को मिला है।

cow

सेक्स सॉरटेड सीमेन के साथ-साथ बिहार में पहली बार गोवंश संवर्धन के लिए ईटी एवं आईवीएफ तकनीक का शुभारंभ बेगूसराय के बरौनी डेयरी से किया गया है। यह तकनीक अब तक की सबसे बड़ी श्वेत क्रांति साबित होगी। जिससे दो-तीन साल के अंदर पशुपालकों की आय में कई गुना अधिक वृद्धि हो जाएगी।

विभिन्न प्रकार के मवेशियों के नस्ल संवर्धन एवं संरक्षण के लिए शुरू किया गया ईटी एवं आईवीएफ तकनीक आत्मनिर्भर बिहार- आत्मनिर्भर भारत निर्माण की दिशा में एक क्रांतिकारी पहल है। अत्याधुनिक तकनीक से जुड़ी यह योजना पूरी तरह लागू होने से तीन साल के अंदर दूग्ध उत्पादन में दोगुनी वृद्धि होगी। अभी सिर्फ बेगूसराय में करीब 15 लाख लीटर दूध का उत्पादन प्रतिदिन होता है।

दोनों आधुनिक तकनीक को पशुपालक जब अपना लेंगे तो करीब तीन साल में यहां प्रतिदिन 30 लाख लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होने लगेगा। बेगूसराय का उत्पादित यह दूध न केवल बिहार और झारखंड के दु्ग्ध आवश्यकता की पूर्ति करेगा बल्कि दिल्ली, पश्चिम बंगाल एवं असम जैसे राज्यों में भी दूध और उसके अन्य उत्पाद भेजे जाएंगे।

क्या है एम्ब्रियो ट्रांसफर (ईटी) तकनीक :

एंब्रियो ट्रांसफर तकनीक के माध्यम से प्रदाता (डोनर) गाय के फ्लशिंग से एंब्रियो निकालकर उसी नस्ल के ग्रहणकर्ता मादा के गर्भाशय में ट्रांसफर किया जाएगा। पारंपरिक ईटी विधि में प्रदाता गाय या बहंतु बाछी का निर्दिष्ट हार्मोन उपचार कर (फोलिकल स्टीमूलेटिंग हार्मोन से) सृजित बहुसंख्य फोलिकल से अंडोत्सर्ग कराया जाता है। डोनर का हीट तथा सर्वोत्तम अंडोत्सर्ग के समय कृत्रिम गर्भाधान कराया जाता है। लेकिन इस तकनीक से कृत्रिम गर्भाधान के सात दिनों पर मादा डोनर के गर्भाशय से भ्रूण फ्लशिंग से निकालकर समरूपता अवस्था की ग्रहणकर्ता गाय में ट्रांसफर किया जाएगा।

Related News