
डॉक्टरों की एक और काली करतूत सामने आई है। दरअसल, बीती 8 जुलाई को एक डॉक्टर को एक महिला के घरवालों को दो दिनों तक उसकी मौत के बारे में कथित तौर पर नहीं बताने और उससे अधिक रूपए ऐठनें के आरोप में पकड़ किया गया। इस मामले में मिली सूचना के मुताबिक 60 साल की महिला को इस साल फरवरी में इस्लामपुर के आधार हेल्थकेयर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।
ये मामला महाराष्ट्र के सांगली जिले का बताया जा रहा है। इस प्रकरण में सूचना देते हुए एक पुलिस अफसर ने बताया कि 8 मार्च को उसकी मौत हो गई, किंतु दोषी डॉक्टर योगेश वाथरकर ने तुरंत उसके रिश्तेदारों को सूचित नहीं किया और 10 मार्च तक उसका इलाज जारी रखा।
आगे उन्होंने बताया कि आरोपी ने महिला के बेटे से कहा कि उसकी 10 मार्च को मौत हो गई और शव सौंप दिया। इस मामले में मिली सूचना के मुताबिक इस जालसाजी का खुलासा उस वक्त हुआ जब दस दिन बाद नगर निगम द्वारा जारी किए गए मृत्यु प्रमाण पत्र में उल्लेख किया गया कि ‘उसकी मृत्यु 8 मार्च को हुई थी।
इस पूरे मामले के बारे में पुलिस अफसर ने बताया कि, महिला के बेटे ने डॉक्टर से पूछताछ की, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला, इसलिए उसने पुलिस में कंप्लेन दर्ज कराई।
तो वहीं पुलिस ने डॉ वाथरकर को आईपीसी की धारा 406 (विश्वास भंग), 420 (धोखाधड़ी) और 465 (जालसाजी) के अंतर्गत अरेस्ट किया।
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