Bollywood News: किसी ने सही कहा है कि फिल्में समाज का प्रतिबिंब होती हैं। इनका उद्देश्य केवल रोमांस, एक्शन और ड्रामा नहीं है, बल्कि समय-समय पर समाज में चल रही समस्याओं को उजागर करना भी है। एड्स के मरीजों के दर्द को समझना वास्तव में उतना ही मुश्किल है, जितना कि समुद्र को मीठा बनाना। फिर भी, फिल्म उद्योग ने कई ऐसी फिल्में बनाई हैं जो एड्स पर खुलकर चर्चा करती हैं।
हर साल 1 दिसंबर को विश्व स्तर पर एड्स दिवस मनाया जाता है। एड्स के मरीज आज भी उसी दर्दनाक स्थिति में हैं, जिसमें वे पहले थे। हालांकि, इस गंभीर बीमारी के बारे में सही जानकारी और जागरूकता बहुत अहम हैं और इस दिशा में इन फिल्मों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
ये फिल्में न केवल मरीजों की भावनाओं को छूती हैं, बल्कि कई भ्रांतियों को भी तोड़ती हैं। आइए, बॉलीवुड में इस गंभीर विषय पर बनी कुछ फिल्मों पर नजर डालते हैं।
"प्यार में कभी कभी" 1999 में रिलीज हुई थी। हालांकि यह फिल्म पूरी तरह से एड्स पर केंद्रित नहीं थी, मगर इसमें एड्स की समस्या को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। फिल्म के नायक को एड्स हो जाता है, जिससे कहानी एक नई दिशा में मुड़ जाती है। इसमें डिनो मोरिया के साथ मुख्य भूमिका में रिंकी खन्ना और संजय सूरी हैं।
"फिर मिलेंगे", जिसमें सलमान खान, शिल्पा शेट्टी और अभिषेक बच्चन हैं, 2004 में रिलीज हुई थी। फिल्म का विषय वास्तव में उत्कृष्ट है। रेवती मेनन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में एड्स को केवल एक समस्या के रूप में नहीं, बल्कि इसके विरुद्ध लड़ाई, जागरूकता और समाज के योगदान को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
"माई ब्रदर निखिल", जो 2005 में रिलीज हुई, एड्स पर आधारित एक महत्वपूर्ण फिल्म है। इसमें मुख्य भूमिका निभाई है जूही चावला, संजय सूरी और पुराब कोहली ने। फिल्म का निर्देशन ओनिर ने किया है।
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