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भारतीय पूर्व नौसैनिकों को कतर में मौत का फरमान सुनाए जाने की खबर ने पूरे देश में बवाल मचा दिया है। एक साल से ये लोग कतर की बंद में हैं और बीते दिनों वहां की अदालत ने सभी को सजाए मौत का फरमान सुना दिया। उन पर क्या क्या इल्जाम लगे हैं।

कतर की तरफ से इसे लेकर कोई सूचना सार्वजनिक नहीं की गई है, किंतु बीते वर्ष जासूसी के आरोप में इनकी गिरफ्तारी हुई थी। भारत सरकार के सामने इस वक्त सबसे बड़ी चुनौती ये है कि वह किस प्रकार सभी को फांसी के फंदे पर लटकने से बचा सकती है। कानून के जानकारों की मानें तो सरकार के पास अभी भी कई रास्ते हैं, जिसके जरिए वो उनको मौत से बचा सकती है। आइए जान लेते हैं कि सरकार के पास अभी कौन कौन से कानूनी विकल्प हैं।

भारत के पास ये 3 रास्ते

भारत के पास सबसे पहला विकल्प यही है कि वे कतर की सरकार से बात करके इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की दरखास्त करें। साथ ही केस को कमजोर करने के लिए कोई ठोस लॉजिक दिया जाए।

दूसरा रास्ता ये है कि भारत इस मामले में कतर के पड़ोसी मुल्कों से सहायता मांग सकता है। मिडल ईस्ट के कई राष्ट्रों से भारत के रिश्ते अच्छे रहे हैं। यदि ये मुल्क कतर से चर्चा करें तो बात बन सकती है।

तीसरा रास्ता ये है कि भारत कतर की कोर्ट के इस फैसले को इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में चैलेंज कर सकता है। कुलभूषण जाधव के मामले में भी भारत ने यही रुख अपनाया था। इस न्यायालय से भारत को राहत भी मिली थी। 

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