img

नई दिल्ली॥ भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों का फायदा अरब सागर में उस समय मिला, जब भारतीय जंगी जहाज आईएनएस तलवार को उत्तरी अरब सागर में तैनाती के दौरान अमेरिकी नौसेना के टैंकर से ईंधन लेना पड़ा। दोनों देशों के बीच (लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ अग्रीमेंट-लेमोआ) रक्षा समझौता हुआ है। इसी के तहत अब भारत और अमेरिका एक दूसरे के बेस का भी इस्तेमाल करेंगे।

Indian Navy & US Navy-INS Talwar-refuelling

भारतीय नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि 2016 में भारत और अमेरिका के बीच (लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ अग्रीमेंट-लेमोआ) पर समझौता हुआ था। इसके तहत दोनों देश की तीनों सेनाएं मरम्मत और सेवा से जुड़ी अन्य जरूरतों के लिए एक दूसरे के अड्डे का इस्तेमाल कर सकेंगी।

भारत इससे पहले इसी तरह के समझौते फ्रांस, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया के साथ कर चुका है।​ अभी हाल ही में जापान के साथ भी इसी तरह का रक्षा करार हुआ है। अमेरिका के साथ 2018 में भी एक रक्षा समझौता कम्यूनिकेशन कॉम्पैटिबिलिटी एंड सिक्यॉरिटी को लेकर हुआ था, जिसके तहत दोनों देशों की सेनाओं के बीच सहयोग और भारत को अमेरिका से उत्कृष्ट तकनीक दिए जाने की व्यवस्था है।

अमेरिका से लगातार संबंध मजबूत हो रहे हैं

दरअसल, पिछले कुछ सालों से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध लगातार मजबूत हो रहे हैं। इसी का फायदा सोमवार को उत्तरी अरब सागर में मिला और चीन के होश उड़े हुए हैं। भारत का जंगी जहाज आईएनएस तलवार मिशन पर तैनात था और उसे ईंधन की जरूरत पड़ी तो लेमोआ समझौते के तहत अमेरिकी नौसेना के टैंकर यूएसएनए यूकोन से ईंधन लिया।

इसी साल जुलाई में अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में भारतीय नौसेना के युद्धाभ्यास में अमेरिका नौसेना भी शामिल हुई थी। भारतीय नौसेना ने यूएस नेवी के साथ इस युद्धाभ्यास को पासेक्स यानी पासिंग एक्सरसाइज नाम दिया था। पूर्वी लद्दाख की सीमा एलएसी पर चीन के साथ चल रहे सैन्य टकराव के बीच भारतीय नौसेना ने जुलाई के दूसरे हफ्ते में अंडमान निकोबार द्वीप समूह में युद्धाभ्यास शुरू किया।

इसमें अमेरिका की तरफ से परमाणु ताकत से लैस एयरक्राफ्ट कैरियर यूएसएस निमित्ज ने भी हिस्सा लिया था। यूएसएस निमित्ज दुनिया का सबसे बड़ा जंगी जहाज है। इस सैन्य अभ्यास में भारतीय नौसेना के फ्रिगेट शहयादर एफ-49 और शिवालिक एफ-47 समेत 4 जंगी जहाजों ने भी हिस्सा लिया था। भारत और अमेरिकी नौसेना का यह संयुक्त युद्धाभ्यास इसलिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि अंडमान और निकोबार के इन्हीं रास्तों मलक्का स्ट्रेट से चीन का अहम व्यापार होता है।