लद्दाख से चीन ने हटाए 10 हजार सैनिक, कारण आपको हैरान कर देगा

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आख़िरकार चीनी सैनिकों को माइनस 30 पारा पहुंचने पर लद्दाख की बर्फीली पहाड़ियां छोड़कर भागना पड़ा है। हिंदुस्तानी सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख के दौरों के बीच अचानक चीनी सेना ने अपने करीब 10 हजार सैनिकों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से हटा लिया है। हिंदुस्तानी सीमा के पास 200 किलोमीटर के दायरे से चीन ने अपने सैनिक हटाए हैं। इसके विपरीत उच्च ऊंचाई की लड़ाइयों में सर्वश्रेष्ठ माने जाने वाले हिंदुस्तानी सैनिक बर्फीली पहाड़ियों पर डटे हुए हैं।

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पैन्गोंग झील के किनारे जमने लगे हैं, क्योंकि यहां का तापमान गिरकर शून्य से 30 डिग्री नीचे चला गया है। उत्तरी किनारे के फिंगर एरिया के उच्च ऊंचाई वाले स्थानों पर मई से जमे बैठे चीनी सैनिक अभी तक हटने को तैयार नहीं थे लेकिन तापमान गिरते ही उनकी हालत खराब होने लगी है। मौसम में तेजी से बदलाव आने की वजह से चीनी सैनिक ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होने लगे हैं। इस दौरान तेज हवा और अत्यधिक ठंड की स्थिति और खराब होती जा रही है। लद्दाख में शून्य से नीचे गिरते तापमान के चलते चीन ने ये कदम उठाए हैं। बेहद ठंड और कठिन हालात की वजह से चीनी सैनिक सीमा से पीछे हटे हैं।

यही वजह है कि हिंदुस्तान और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे सीमा विवाद के बीच चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से अपने 10 हजार सैनिकों को हटा लिया है। चीन ने यह फैसला पूर्वी लद्दाख में पड़ रही भीषण ठंड की वजह से किया है। हिंदुस्तानी सीमा के पास 200 किलोमीटर के दायरे से चीन ने अपने सैनिक हटाए हैं। पूर्वी लद्दाख में हिंदुस्तानी सीमा के पास जिस इलाके में चीनी सैनिक पारंपरिक रूप से प्रशिक्षण किया करते थे, अब वो जगह खाली दिख रही है। पिछले साल मार्च-अप्रैल के दौरान चीन ने सीमा पर 50 हजार सैनिक तैनात किए थे, तब से ये सैनिक वहीं तैनात थे। सूत्रों ने कहा कि हिंदुस्तानी सीमा के पास चीनी सेना के तैनात किये गए भारी हथियार अभी भी हैं।

चीन को अपने जवानों को हटाने पर मजबूर होना पड़ा है, वहीं हिंदुस्तानी जवान मोर्चे पर जमे हुए हैं। शून्य से कई डिग्री नीचे के तापमान में भी हिंदुस्तानी जवान लद्दाख में चीन से लगी सीमा पर डटे हुए हैं। हिंदुस्तानी जवान सीमा पर इसलिए भी डटे हुए ताकि चीन बर्फीले हालात के आड़ में किसी भी तरह का दुस्साहस न कर सके। हिंदुस्तानी सैनिकों को सियाचिन में करीब 22 हजार फीट और माउंट एवरेस्ट पर 29 हजार फीट की ऊंचाई पर तैनाती का अनुभव है, इसलिए पैंगोंग की 16 हजार फीट की ऊंचाई उनके लिए कोई मायने नहीं रखती है। इसीलिए हिंदुस्तानी सेना के सैनिक उच्च ऊंचाई की लड़ाइयों में सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं।

 

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