समंदर में अब नहीं चलेगी चीन की दादागीरी, भारत-अमेरिका समेत 4 देशों की नौसेनाएं अब…

img

नई दिल्ली। क्वाड समूह के चारों देशों भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने मालाबार नौसैन्य अभ्यास के 24वें संस्करण के आखिरी चरण की तैयारी पूरी कर ली है। बंगाल की खाड़ी में तीन से छह नवम्बर के बीच पहले चरण में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने मालाबार नौसैन्य अभ्यास के 24वें संस्करण में हिस्सा लिया। अब मालाबार नौसैन्य अभ्यास का दूसरा चरण 17 नवम्बर से 20 नवम्बर तक अरब सागर में होना है।

 

MALABAR 2020-Phase 2-Western Indian Ocean

 
नौसेना प्रवक्ता के अनुसार भारत ने 44,500 टन के आईएनएस विक्रमादित्य को अपने मिग-29 के फाइटर जेट्स के साथ तैनात किया है, जबकि अमेरिका ने 100,000 टन से अधिक परमाणु चालित यूएसएस निमित्ज वाहक को एफ-18 फाइटर्स और ई-2 सी हॉके के साथ चार दिवसीय सैन्य अभ्यास के लिए भेजा है। यूएस नेवी के स्ट्राइक कैरियर निमित्ज में पी-8ए समुद्री टोही विमान के अलावा क्रूजर प्रिंसटन और विध्वंसक स्टेरेट होंगे। यह नौसन्य अभ्यास मुख्य रूप से भारतीय नौसेना के विक्रमादित्य कैरियर बैटल ग्रुप और यूएस नेवी के निमित्ज कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के आसपास केंद्रित होगा। इसके अलावा रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी और जापानी नौसैनिकों के दो विध्वंसक अभ्यास करेंगे। 
 
प्रवक्ता के अनुसार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ‘अंतरराष्ट्रीय नियमों’ की रक्षा करने के इच्छुक ‘क्वाड’ देशों की नौसेनाएं युद्धाभ्यास के लिए एक दर्जन युद्धपोत के साथ अरब सागर में उतरेंगीं। ​इस दौरान उन्नत सतह और पनडुब्बी-रोधी युद्ध अभ्यास, सीमन्सशिप इवोल्यूशन और हथियार फ़ेरिंग भी चारों नौसेनाओं के बीच अंतर-संचालन और तालमेल को आगे बढ़ाने के लिए किए जाएंगे। भारतीय नौसेना के विक्रमादित्य और उसके लड़ाकू और हेलीकॉप्टर एयर-विंग्स के अलावा, स्वदेशी विध्वंसक कोलकाता और चेन्नई, स्टील्थ फ्रिगेट तलवार,​ फ्लीट सपोर्ट शिप दीपक और इंटीग्रल हेलीकॉप्टर भी अभ्यास में भाग लेंगे, जिसका नेतृत्व वेस्टर्न फ्लीट के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल कृष्णा स्वामीनाथन करेंगे। भारतीय नौसेना के स्वदेशी निर्मित पनडुब्बी खंदेरी और पी-8आई समुद्री टोही विमान भी अभ्यास के दौरान अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगे।
 
मालाबार अभ्यास के जरिये ​​भारतीय नौसेना चीन को सामरिक संदेश देने की कोशिश कर रही है कि वह केवल हिन्द महासागर तक ही खुद को सीमित नहीं रखना चाहती है बल्कि दक्षिण चीन सागर के पार प्रशांत महासागर तक पहुंचने की भी उसकी क्षमता है और समंदर में चीन की दादागीरी नहीं चलेगी।​ ​चार देशों के बीच होने वाला यह अभ्यास पूरे डोमेन बहु-संचालन को मजबूत करेगा। यह अभ्यास सभी चार देशों को एक-दूसरे की नौसेनाओं, कमांडरों और कर्मियों के प्रशिक्षण के स्तर को समझने का बेहतर मौका है। यह अभ्यास अरब सागर क्षेत्र में गश्त करने वाले कम से कम 70 विदेशी युद्धपोतों की भीड़भाड़ वाले वातावरण में होगा। 
Related News