
पंजाब ।। 71 साल बाद ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतना ऐतिहासिक है और बिशन सिंह बेदी से लेकर सचिन तेंदुलकर तक ने इसकी तारीफ भी की है लेकिन, टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री कई बार तंज कसते हुए पूर्ववर्ती टीमों को कमजोर साबित करने की कोशिश करते रहे हैं, जिससे उन्हें बचना चाहिए।
सोमवार को जब टीम इंडिया सहित प्रशंसक और आलोचक भी जीत की खुशी में थे तो शास्त्री उन सवालों का भी जवाब दे रहे थे जो उनसे पूछे नहीं गए थे। मैच के बाद प्रेस वार्ता में उन्होंने बिना सवाल पूछे ही उन पूर्व दिग्गजों पर अप्रत्यक्ष निशाने साधे जिन्होंने टीम की गलतियों पर सवाल उठाए थे।
एक तरफ शास्त्री ने खुद कहा कि टीम ने कई गलतियां कीं और उससे सीखकर यह सीरीज जीती तो दूसरी तरफ उन्हीं गलतियों पर सवाल उठाने वाले सुनील गावस्कर जैसे दिग्गज पर अप्रत्यक्ष निशाना साधा।
शास्त्री ने इस साल इंग्लैंड दौरे के समय भी वर्तमान टीम को अब तक की सर्वश्रेष्ठ टूरिंग टीम बताया था। इससे पहले यही बात विराट ने कही थी। कोच और कप्तान को समझना होगा कि वे इंडियन क्रिकेट की विरासत को ही आगे बढ़ा रहे हैं। पूर्ववर्ती टीम इंडिया, वर्तमान टीम इंडिया की विरोधी नहीं हैं।
कोहली की कप्तानी वाली वर्तमानटीम इंडिया और कोच शास्त्री को ध्यान रखना होगा कि इस समय जिस टीम का नेतृत्व वे कर रहे हैं, उसमें इन दिग्गजों का महत्वपूर्ण योगदान है। इन दिग्गजों के योगदान की बदौलत ही भारतीय क्रिकेट आज इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचा है। अगर सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने की ही बात है तो 71 साल में कोई एशियाई टीम यहां सीरीज जीत नहीं सकी थी।
इसमें कोई शक नहीं कि 1977-78 में भारत का सबसे मजबूत स्पिन आक्रमण ऑस्ट्रेलिया की सबसे कमजोर बल्लेबाजी के बावजूद सीरीज नहीं जीत सका। 2003-04 में भारत का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजी आक्रमण सिर्फ मेलबर्न में ही टेस्ट जीत सका।
विराट और रवि शास्त्री जिन पुजारा की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं, उन्हें इस साल इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में बाहर बैठा दिया गया था। तब भी पूर्व दिग्गजों ने इस फैसले की आलोचना की थी। पुजारा ने चार टेस्ट की वर्तमान सीरीज में 74.42 की औसत से 521 रन बनाए। पुजारा ने तीसरे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए एडिलेड, मेलबर्न और सिडनी में भी शतकीय पारियां खेलीं। इस सीरीज में पुजारा का प्रभुत्व इतना था कि कप्तान कोहली इस दौरान 282 रन बनाकर उनसे काफी पीछे रहे।