वाराणसी, 07 सितम्बर। कोरोना संक्रमण काल में वाराणसी में रविवार को मोहर्रम के दूसरे अशरे में सदर इमामबाड़े से उठने वाला 72 ताबूत का मातम नहीं हुआ। मजलिस और मातम के साथ रिवायत को निभाया गया। इस जुलूस में शिरकत करने अन्य जिलों से भी लोग आते हैं।
परंतु इस बार केवल कुछ चुनिंदा लोगों ने कोविड प्रोटोकाल का पालन कर नौहा ओ मातम किया। इससे पहले हुई मजलिस को मौलाना नदीम असग़र ने खिताब किया। आयोजन में शामिल रिज़वी, वज़ीर हसन, डेनिश, अलमदार हुसैन, सज्जादअली , फरीद हसन आदि ने शिरकत की ।
शिया जामा मस्जिद के प्रवक्ता हाजी फरमान हैदर ने बताया कि भीखा शाह की गली में उर्फ साहब के इमामबाड़े के दूसरे अशरे में होने वाले 5 मजलिसों की आखरी मजलिस हुई। जिसके बाद ताबूत और आलम की ज़ियारत की गई। मजलिस को मौलाना रिज़वान मरूफि ने खिताब किया।
उन्होंने बताया कि प्रोफेसर अज़ीज़ हैदर साहब के घर हुई कदीमी मजलिस जिसके बाद अंजुमन अबिदिया और सज्जादिया ने नौहा ओ मातम किया । मजलिस को मौलाना असलम रिज़वी ने खिताब किया और श्री मुर्तुज़ा शम्सी ने मर्सिया पढ़ा । उन्होंने बताया कि इमाम का 10 व 8 एवं 9 सितंबर को पूरी अकीदत से मनाया जाएगा।