लखनऊ। भारत में कोरोना आपदा के प्रकोप से हलकान है। अस्पतालों में दवाओं, ऑक्सीजन और जरुरी उपकरणों की बेहद कमीं है। इससे हर रोज हजारों लोग मर रहे हैं। देश में अफरा-तफरी का माहौल है। लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाने के लिए देश में टीकाकरण की प्रक्रिया चल रही है।
इसके पहले भी भारत चेचक और पोलियो जैसी घातक बीमारियों से टीकाकरण द्वारा मुक्ति पाई है। उस समय भी देश में वैक्सीन को लेकर अफवाहें फैली थीं। आज 21वीं सदी में भी कोरोना वैक्सीन को लेकर समाज में भ्रम फैला है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे तमाम पोस्ट से लोग वैक्सीन लगवाने से बच रहे हैं।
कोरोना वैक्सीन को लेकर समाज में भ्रम व्याप्त है। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे तमाम तरह के पोस्ट लोगों को और भयाक्रांत कर रहे हैं। कोविड वैक्सीन पर तमाम मिथक इंटरनेट पर ट्रेंड कर रहे हैं। केंद्र व राज्य सरकारों के साथ ही विशेषज्ञों की अपील भी लोगों को संतुष्ट नहीं कर पा रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश समेत पूरी हिंदी पट्टी के एक समुदाय विशेष में अफवाह है कि कोरोना वैक्सीन लगवाने के कुछ दिनों बाद आदमी मर जाएगा। यदि जीवित रह भी गया तो वह नपुंसक हो जाएगा।
इसी प्रकार बिहार के सहरसा में ग्रामीणों का कहना है कि वैक्सीन लगावाने के बाद लोग मर जाते हैं, इसलिए वो वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। इसी तरह पिछले दिनों यूपी के बाराबंकी के एक गांव में पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम को देखकर दर्जनों लोग नदी में कूद गए। यहां ले लोगों का भी भी बिहार के सहरसा जैसा ही है। इस तरह की अफवाहें टीकाकरण अभियान में पलीता लगाने का काम कर रही हैं।
दरअसल, देश के कई हिस्सों में बड़ी तादाद में लोग कोरोना वायरस को ही नकार रहे हैं। ऐसे लोगों का कहना है कि कोरोना-वोरोना कुछ नहीं है, सब 5 G के रेडिएशन का साइड इफ़ेक्ट है। इसी से लोग बीमार होकर जान गवां रहे हैं। विगत दिनों 5 G के रेडिएशन के साइड इफ़ेक्ट को लेकर अफवाहें इतनी तेजी से फैली कि जगह-जगह लोग प्रदर्शन करने लगे, 5 G के टॉवरों पर हमले भी हुए।
केंद्र व प्रदेश सरकारें और डब्ल्यूएचओ लगातार लोगों से अफवाहों से दूर रहने और कोरोना वैक्सीन लगावाने की अपील कर रहे हैं। इसके बावजूद बड़ी तादाद में लोग वैक्सीन पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। अब समाज के जागरूक लोगों को आगे आकर लोगों की भ्रांतियां दूर कर उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करने की जरूरत है। यदि समाज नहीं जाएगा और कुछ लोग भी वैक्सीनेशन से छूट गए तो कोरोना महामारी के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।