_1867695928.png)
Up Kiran, Digital Desk: भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा? यह सवाल इन दिनों दिल्ली की सियासी गलियों में सबसे ज़्यादा गूंज रहा है। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब इस संवैधानिक पद पर नई नियुक्ति की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। चुनाव आयोग ने औपचारिक प्रक्रिया शुरू कर दी है और राज्यसभा महासचिव को रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त कर दिया गया है।
अब सभी की निगाहें टिकी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगली बड़ी राजनीतिक बैठक पर, जो उनके विदेश दौरे से लौटने के बाद होने वाली है। सूत्रों की मानें तो इसमें एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम तय किया जाएगा।
क्या है मौजूदा राजनीतिक समीकरण
इस बार के उपराष्ट्रपति चुनाव में संख्या का खेल एनडीए के पक्ष में झुका हुआ है।
लोकसभा में एनडीए के पास है 293 सांसदों का समर्थन
राज्यसभा में लगभग 130 सांसदों का समर्थन
कुल मिलाकर एनडीए को लगभग 423 सांसदों का भरोसा हासिल है
जबकि दूसरी ओर विपक्षी INDIA गठबंधन के पास:
लोकसभा में: 234 सांसद
राज्यसभा में: 79 सांसद
कुल मिलाकर: करीब 313 सांसदों का समर्थन
चूंकि उपराष्ट्रपति चुनने के लिए 392 मतों की आवश्यकता होती है, इसलिए एनडीए उम्मीदवार की जीत लगभग सुनिश्चित मानी जा रही है।
बीजेपी किसे बना सकती है उम्मीदवार?
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी एक वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध और संगठन से जुड़े चेहरे को उम्मीदवार बना सकती है। पार्टी की रणनीति यह भी हो सकती है कि ओबीसी समुदाय से आने वाले किसी नेता को आगे कर एक सामाजिक संदेश भी दिया जाए।
वहीं, जेडीयू के राज्यसभा उपसभापति हरिवंश का नाम भी चर्चा में है। उनके केंद्र सरकार से अच्छे रिश्ते और संसदीय अनुभव उन्हें मज़बूत दावेदार बनाते हैं। हालांकि, बीजेपी अक्सर ऐसे मौकों पर चौंकाने वाले नामों को सामने लाती रही है — जैसा कि राष्ट्रपति और पिछले उपराष्ट्रपति चुनाव में देखा गया।
विपक्ष भी मैदान में उतरने को तैयार
हालांकि जीत की संभावना कम है, फिर भी INDIA ब्लॉक इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रहा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संकेत दिए हैं कि विपक्ष जल्द एक बैठक करेगा और संयुक्त उम्मीदवार उतारेगा।
राजनीतिक संदेश देने के लिहाज़ से यह कदम विपक्ष के लिए अहम होगा। सूत्रों के अनुसार, गठबंधन यह मानता है कि भले ही संख्या उनके पक्ष में न हो, लेकिन एक मजबूत चेहरा पेश कर वे जनता के बीच वैकल्पिक नेतृत्व का संदेश दे सकते हैं।
--Advertisement--