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Up Kiran, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा निदेशालय की कार्यप्रणाली पर एक बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। निदेशालय ने 15 जून 2025 को एक आदेश जारी किया, जिसमें दिवंगत अधिकारी चारुल पांडेय का स्थानांतरण प्रयागराज से फतेहपुर करने का निर्देश दिया गया था। आदेश संख्या 5859/2025-26 के तहत यह स्थानांतरण आदेश जारी किया गया था, जिसमें चारुल पांडेय को फतेहपुर स्थित बेसिक शिक्षा कार्यालय में तैनाती दी जाने की बात कही गई।

दिवंगत अधिकारी का स्थानांतरण आदेश जारी
यह मामला और भी चौंकाने वाला है क्योंकि चारुल पांडेय का निधन दो साल पहले ही हो चुका था, लेकिन इसके बावजूद उनका नाम मानव संपदा पोर्टल पर सक्रिय रहा। इस पर विभाग ने बिना किसी तथ्य की पुष्टि किए उनके नाम पर स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह स्थानांतरण आदेश चारुल पांडेय को कौन देगा, और डाक लेकर जाने वाला पत्र आखिरकार वापस कैसे लौटेगा?

प्रक्रिया में लापरवाही और जल्दबाजी
जारी आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि संबंधित तबादला जानकारी वाट्सऐप के माध्यम से भेजी गई थी। यह साफ दर्शाता है कि स्थानांतरण आदेश की प्रक्रिया में लापरवाही और जल्दबाजी दोनों ही देखी गई। जिस तरह से एक मृतक अधिकारी का नाम विभागीय आदेश में शामिल किया गया, उससे विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

डेटा की शुद्धता पर सवाल
इस घटना ने यह भी साबित किया है कि सरकारी पोर्टलों पर उपलब्ध डेटा की शुद्धता को लेकर एक व्यापक समीक्षा की आवश्यकता है। यदि सरकारी पोर्टल्स पर डेटा गलत है, तो इससे न केवल विभागीय कार्यों में रुकावट आती है, बल्कि इस तरह की गलतियों से सरकार की छवि पर भी सवाल उठते हैं।

आखिरकार क्या कदम उठाए जाएंगे?
इस लापरवाही के मामले में अब तक किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन यह मामला प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन चुका है। क्या विभाग इस गलती को सुधारने के लिए जल्द कोई कदम उठाएगा, या इसे केवल एक भूल मानकर छोड़ दिया जाएगा, यह देखना बाकी है।

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