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Up Kiran, Digital Desk: दोस्तों, बॉलीवुड की दुनिया में सितारे कब क्या कह दें, यह कभी-कभी चर्चा का एक बड़ा विषय बन जाता है. खासकर जब बात दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) जैसी टॉप एक्ट्रेस की हो, जो अपनी एक्टिंग और अपनी फ़िल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन दोनों के लिए जानी जाती हैं. अभी हाल ही में दीपिका ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसने कई लोगों को चौंका दिया है. उन्होंने कहा है कि अब 500 या 600 करोड़ रुपये कमाने वाली फ़िल्में उन्हें ख़ास उत्साहित (Exciting) नहीं करतीं! यह बात तब आई है जब कुछ ही महीने पहले उन्होंने इंडस्ट्री में 8 घंटे की शिफ्ट (8-hour shifts) की वकालत की थी.

दीपिका का यह बयान कई मायनों में इंडस्ट्री में बढ़ती सोच और सितारों की प्राथमिकताओं में बदलाव को दर्शाता है.

पहले 8 घंटे की शिफ्ट, अब भारी कमाई से दूरी! क्या है इसका मतलब?

याद कीजिए, कुछ महीने पहले दीपिका पादुकोण ने फ़िल्म इंडस्ट्री में 'काम-जीवन संतुलन' (Work-Life Balance) के लिए 8 घंटे की शिफ्ट का समर्थन किया था. उनका कहना था कि एक्टर्स और क्रू मेम्बर्स के लिए भी एक निर्धारित वर्किंग ऑवर होना चाहिए, ताकि उनकी पर्सनल लाइफ भी बनी रहे.

और अब, उनके इस नए बयान से लगता है कि दीपिका की प्राथमिकताएँ और भी गहरी हो गई हैं. जब वे कहती हैं कि उन्हें बड़ी कमाई वाली फ़िल्में अब उतनी एक्साइट नहीं करतीं, तो इसका सीधा सा मतलब है कि अब उनके लिए सिर्फ़ पैसों से ज़्यादा फ़िल्म की कहानी (Storytelling), किरदार की गहराई (Character Depth) और उससे जुड़ा उनका कलात्मक संतोष (Artistic Satisfaction) ज़्यादा मायने रखता है.

क्या यह इंडस्ट्री के लिए एक नया संकेत है?

आजकल कई बड़े सितारे सिर्फ़ मोटी फीस या ब्लॉकबस्टर फ़िल्मों के पीछे भागने की बजाय, उन कहानियों को चुन रहे हैं जो उन्हें कलाकार के तौर पर संतुष्ट करती हैं. शायद दीपिका का बयान भी उसी ट्रेंड का एक हिस्सा है. वे शायद यह दिखाना चाहती हैं कि फ़िल्म मेकिंग में सिर्फ़ बॉक्स ऑफिस नंबर ही सब कुछ नहीं होते, बल्कि अच्छी कहानियों और मज़बूत कंटेंट को भी महत्व मिलना चाहिए.

  1. बड़े बजट, बड़ा रिस्क: आजकल 500-600 करोड़ की कमाई करने वाली फ़िल्में अक्सर बहुत बड़े बजट वाली होती हैं. उनमें सफलता का दबाव बहुत ज़्यादा होता है, और शायद यह बात उन्हें अब उतनी रास नहीं आ रही हो.
  2. कलात्मक संतुष्टि: हो सकता है कि अब वे ऐसी भूमिकाओं की तलाश में हों जो उन्हें बतौर एक्टर ज़्यादा चुनौती दें और जिनके ज़रिए वे अपनी कला का बेहतर प्रदर्शन कर सकें, भले ही फ़िल्म का कलेक्शन थोड़ा कम क्यों न हो.
  3. नया ट्रेंड: यह बॉलीवुड में एक नए ट्रेंड का संकेत भी हो सकता है, जहाँ अब सितारे बॉक्स ऑफिस के दबाव से थोड़ा हटकर क्वालिटी वर्क पर ध्यान दे रहे हैं.

यह देखना दिलचस्प होगा कि दीपिका पादुकोण के इस बयान पर इंडस्ट्री और उनके फैंस की क्या प्रतिक्रिया आती है. लेकिन इतना तय है कि उनके इस विचार से बॉलीवुड में एक नई बहस ज़रूर छिड़ गई है.

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