जासूस ड्रैगन कर रहा है ख़तरनाक साजिशें, बनी हुई ऐसी स्थिति

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लद्दाख में सीमा पर हालात को लेकर लोकसभा में बयान देकर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पूरी दुनिया के सामने स्थिति स्पष्ट करते हुए बताया है कि किस प्रकार चीन 1993 तथा 1996 के समझौतों का उल्लंघन करते हुए एलएसी पर भारी मात्रा में जवानों की तैनाती कर रहा है। उनके मुताबिक चीन ने समझौतों का सम्मान नहीं किया और एलएसी के अंदर बड़ी संख्या में जवानों और हथियारों को तैनात किया है। इसी वजह से एलएसी के आसपास टकराव की स्थितियां बरकरार हैं।

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रक्षामंत्री ने संसद में अपने सम्बोधन में स्पष्ट किया कि भारत-चीन के सीमावर्ती क्षेत्रों में आमतौर पर एलएसी नहीं है और एलएसी को लेकर दोनों देशों की धारणा अलग-अलग है लेकिन 1993 और 1996 के समझौतों में स्पष्ट उल्लेख है कि दोनों देश एलएसी के पास अपनी-अपनी सेनाओं की संख्या न्यूनतम रखेंगे।

रक्षामंत्री के अनुसार समझौते में यह भी कहा गया है कि सीमा के मुद्दे का जबतक पूर्ण समाधान नहीं हो जाता, तबतक एलएसी पर इस समझौते का उल्लंघन नहीं किया जाएगा लेकिन इस वर्ष अप्रैल माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर चीन की सेना और उनके आयुध में वृद्धि देखी गई।

सीमा पर लगातार विवाद

मई माह की शुरूआत में चीन ने गलवान घाटी में भारतीय सेना की सामान्य और पारम्परिक गश्त को रोकना शुरू किया, जिससे आमने-सामने की स्थिति उत्पन्न हुई। हालांकि सैन्य और राजनयिक वार्ताओं के जरिये पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को खत्म करने के लिए प्रयास किए जाते रहे लेकिन आम सहमतियों के बावजूद ड्रैगन लगातार वादाखिलाफी करता रहा है। बीते 20 दिनों में ही ड्रैगन सीमा विवाद को लेकर तीन बार फायरिंग कर चुका है।

एक ओर ड्रैगन की पैदाइश कोरोना वायरस के कारण पूरी दुनिया का हाल बेहाल है, अर्थव्यवस्था गर्त में जा चुकी है, करोड़ों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं, इसके बावजूद शर्मिन्दा होने के बजाय वह अपनी विस्तारवादी नीतियों पर चलते हुए भारत के साथ सीमा पर लगातार विवाद बढ़ा रहा है।

गैर सैन्य तौर-तरीकों से भी भारत को नुकसान पहुंचाने के उसके जिस तरह के घृणित प्रयासों का खुलासा हुआ है, उससे साफ हो गया है कि वह किस प्रकार की खतरनाक साजिशें रच रहा है। हाल ही में पर्दाफाश हुआ है कि ड्रैगन किस प्रकार जल, थल और आकाश के साथ साइबर क्षेत्र में भी भारत के खिलाफ अघोषित युद्ध लड़ रहा है।

‘हाइब्रिड वारफेयर’ के कुत्सित प्रयासों के तहत चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और सेना से जुड़ी एक आईटी कम्पनी हमारे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, विपक्षी नेताओं तथा राज्यों के मुख्यमंत्रियों, सीडीएस तथा सेना के तीनों अंगों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी गोपनीय तरीके से जुटाती रही है।

जासूस ड्रैगन की ऐसी खतरनाक साजिश

ऐसे में सरकार द्वारा चीन के सैंकड़ों एप पर लगाए गए प्रतिबंधों की अहमियत समझी जा सकती है। दरअसल अत्याधुनिक उन्नत तकनीकों और एआई तकनीक के जरिये चीन आज न केवल भारत बल्कि अमेरिका सरीखे दुनिया के सशक्त देशों में भी ऐसी ही जासूसी में लिप्त है।

हाल ही में हुए खुलासे के अनुसार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़ी कम्पनी झेनहुआ डेटा इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी भारतीय राजनेताओं, रक्षा विशेषज्ञों और महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुखों सहित दस हजार से अधिक लोगों का डाटा गोपनीय तरीके से एकत्रित कर चीन भेज रही थी।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डाटा संग्रहण तकनीकों के जरिये चीनी कम्पनी विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर महत्वपूर्ण व्यक्तियों की ऑनलाइन गतिविधियों की निगरानी कर रही थी। आसानी से समझा जा सकता है कि इस प्रकार डाटा चुराकर उसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ रणनीतिक हथियार के तौर पर किया जा सकता है।

जासूस ड्रैगन की ऐसी खतरनाक साजिशों के परिणाम आने वाले समय इसलिए अत्यंत घातक हो सकते हैं क्योंकि 21वीं सदी में युद्ध परम्परागत तौर-तरीकों के बजाय विभिन्न मोर्चों पर तकनीक निपुणता के बलबूते पर लड़े जा रहे हैं और आज के आधुनिक युग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डाटा संग्रहण तकनीकें गोला-बारूद से भी ज्यादा घातक सिद्ध हो सकती हैं।

 

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