हिंदुस्तान ने चांद पर अपना परचम लहराकर एक बार फिर साबित कर दिया कि ये नया भारत है जो इतिहास के पन्नों में अपनी वो जगह बना रहा है जिसके बारे में दुनिया ने कभी सोचा भी नहीं था। इतिहास में वो कहानियां गढ़ी हैं जिन्हें पूरी दुनिया पढ़ने के लिए उत्साहित है। चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद से चांद पर तिरंगा लहरा रहा है और पृथ्वी पर भारतीयों के चेहरों पर मुस्कान है, उत्साह है और देशप्रेम की झलक दिखाई पड़ रही है। जब चंद्रयान तीन ने चांद पर लैंडिंग की उसी के बाद से भारत के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। आप ने चंद्रयान 3 की लॉन्चिंग से लेकर लैंडिंग तक कुछ शब्दों को बार बार सुना होगा और उसके बारे में जानने की लालसा उठी होगी।
ऐसे बहुत से शब्द हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है। इन दो शब्द ऐसे हैं जिनका जिक्र हर जगह हो रहा है। पहला विक्रम लैंडर और दूसरा रोवर प्रज्ञान। चलिए आपको बताते हैं लैंडर को विक्रम नाम ही क्यों दिया गया? इसका भारतीय इतिहास से क्या कनेक्शन है।
सबसे पहले तो आपको ये जान लेना बहुत जरुरी है कि चंद्रयान तीन के लिए भारत ने और हमारी स्पेस एजेंसी इसरो ने अपने पिछले मिशन से बहुत सारे सबक लिए, उनसे बहुत कुछ सीखा और चंद्रयान टू में लैंडर और रोवर के जो नाम थे, चंद्रयान तीन के लिए उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया।
लैंडर विक्रम नाम डॉक्टर विक्रम साराभाई के नाम पर दिया गया है। विक्रम साराभाई का नाम हिंदुस्तान के महान साइंटिस्टों की सूची में शामिल है। विक्रम शब्द का अर्थ होता है साहस और वीरता। विक्रम साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष संस्थानों के लिए कई अहम योगदान दिए हैं। विक्रम साराभाई को इसरो का सबसे पहला चेयरमैन नियुक्त किया गया था।
इसलिए दिया गया प्रज्ञान नाम
अब बात करते हैं प्रज्ञान की। चंद्रयान तीन के रोवर प्रज्ञान दिया गया है जिसका मतलब है बुद्धिमता। इसके नाम से दिलचस्प बातें जुड़ी हुई हैं। वैज्ञानिकों ने इसे नाम इसलिए दिया क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि ये अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करते हुए ही चांद की सतह पर कई चीजों की जानकारी इकट्ठा करेगा। इसलिए इसे प्रज्ञान नाम देना चाहिए।
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