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Up Kiran , Digital Desk: उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर बयानबाज़ी की आंच में तप रही है। इस बार विवाद की चिंगारी छिड़ी है उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के एक विवादित बयान से जो उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर दिया। इसके बाद ना सिर्फ राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई बल्कि सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। मामला इतना गंभीर हो गया कि एफआईआर तक दर्ज हो गई और अब इसमें आचार्य प्रमोद कृष्णम और केशव प्रसाद मौर्य जैसे बड़े नेता भी कूद पड़े हैं।
1. डिप्टी सीएम का विवादित बयान और प्रतिक्रिया
ब्रजेश पाठक की ओर से अखिलेश यादव को लेकर दिए गए बयान में ‘डीएनए’ का जिक्र किया गया जो धार्मिक और व्यक्तिगत पहचान से जुड़ता है। समाजवादी पार्टी ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी और पार्टी के मीडिया सेल से एक विवादित ट्वीट किया गया जिससे मामला और गंभीर हो गया।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस ट्वीट को आपत्तिजनक मानते हुए एफआईआर दर्ज करवाई जो इस विवाद को कानूनी लड़ाई की ओर मोड़ता दिखा।
2. अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया
शनिवार रात अखिलेश यादव ने इस पूरे मामले पर पहली बार खुलकर बयान दिया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि हमने अपने कार्यकर्ताओं को समझा दिया है। डिप्टी सीएम को भी बयानबाज़ी बंद कर देनी चाहिए। सब जानते हैं कि हम यदुवंशी हैं और यदुवंश का संबंध भगवान श्रीकृष्ण से है। ऐसे में हमारे डीएनए पर हमला धार्मिक रूप से भी हमें आहत करता है।
ये बयान सिर्फ राजनीतिक नहीं बल्कि धार्मिक और सामाजिक भावनाओं को भी सामने लाने वाला था। अखिलेश का ये पलटवार ब्रजेश पाठक के बयान को सीधे धर्म और आत्मसम्मान से जोड़ता है।
3. आचार्य प्रमोद की तल्ख टिप्पणी
इस विवाद में आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि सपा की सटीक और सारगर्भित व्याख्या कु. बहिन मायावती ने की थी अतः कोई सार्थक अपेक्षा करना निरर्थक है।
ये टिप्पणी सपा पर सीधा कटाक्ष थी और इसमें मायावती के पुराने बयानों की झलक भी दिखी। प्रमोद की ये टिप्पणी सियासी जंग को और गहरा करती है।
4. केशव प्रसाद मौर्य की ‘लठैतवाद’ वाली टिप्पणी
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस बहस में अपनी बात रखी और समाजवादी पार्टी पर करारा हमला बोला कि परिवारवादी समाजवाद अब पूरी तरह से 'लठैतवाद' में बदल चुका है।
ये बयान न सिर्फ अखिलेश यादव की पार्टी पर बल्कि उसकी विचारधारा पर भी सवाल खड़ा करता है। समाजवाद जो कि डॉ. राम मनोहर लोहिया और जनेश्वर मिश्र जैसे नेताओं की विचारधारा रही है अब खुद सवालों के घेरे में है।
5. भाजपा और सपा के बीच बयानबाज़ी की राजनीति
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में विचारों से ज्यादा अब बयानों का दौर चल रहा है। दोनों दल एक-दूसरे पर निजी टिप्पणियों से हमला कर रहे हैं जिससे आम जनता के मुद्दे कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं। 'डीएनए' 'यदुवंश' 'लठैतवाद' और 'एफआईआर' जैसे शब्द अब चुनावी विमर्श का हिस्सा बनते जा रहे हैं।
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