हमास व इजराइल की जंग जारी है। तो वहीं सन् 1995 की कुछ घटनाओं का जिक्र किया गया है, क्योंकि 90 के दशक में भी हमास हमले के लिए जानवरों का इस्तेमाल कर चुका है क्योंकि गाजा पर इतिहास की सबसे बड़ी बमबारी की जा रही है। ऐसे में हमास के सामने वजूद बचाने का संकट पैदा हो गया है। लिहाजा आर पार की जंग में हम आज फिर से गधों का सहारा ले सकता है।
डिफेंस एक्सपर्ट के अनुसार, करीब दो महीने की जंग के बाद इस्राइल भले ही हमास का खात्मा नहीं कर पाया हो, मगर जल, थल और नभ से किए गए ट्रिपल अटैक में हमास को नुकसान काफी पहुंचा है। उत्तरी गाजा में तो हमास की कमर तक टूट गई है। ताबड़तोड़ हमलों में हमास के 70 से ज्यादा कमांडर मारे जा चुके हैं। हमास के 10,000 से ज्यादा ठिकाने तबाह किए जा चुके हैं।
हमास की 40 फीसदी सुरंगों पर इजरायली सेना का कब्जा हो चुका है। हमास के सैकड़ों लोगों को जान गंवानी पड़ी है। इसके अलावा हमास को होने वाली हथियारों की सप्लाई भी आईडीएफ ने काट रखी है।
जंग में ऐसे होगा गधों का इस्तेमाल
सवाल ये है कि हमास आत्मघाती हमलों के लिए गधों का इस्तेमाल क्यों करता है या कर सकता है। तो इसकी पहली वजह है हमास के पास लोगों की कमी। दरअसल दो महीने से चल रही इस जंग में हमास के काफी लड़ाके मारे जा चुके हैं। सैकड़ों लोग ऐसी सुरंगों में फंसे हैं, जिन्हें आईडीएफ ने अपने कब्जे में ले रखा है। यानी आईडीएफ की टीम इन सुरंगों के मुहाने पर पहरा दे रही है।
सुरंगों से बाहर निकलते ही इन हमासियों का मारा जाना तय है। ऐसे में हमास गधों का इस्तेमाल आत्मघाती की तरह कर सकता है, क्योंकि गधे घूमते हुए कहीं भी पहुंच सकते हैं और धमाके के साथ इसराइल का बहुत बड़ा नुकसान कर सकते हैं। गधे के इस्तेमाल की दूसरी वजह हमास के पास कम होते हथियार।
निरंतर जंग के कारण हमास के हथियार कम पड़ते जा रहे हैं। इतने कम हथियारों से आमने सामने की जंग हमास के लिए आसान नहीं। इसके अलावा हमास की जिन सुरंगों पर आईडीएफ का कब्जा हुआ है, उन सुरंगों में मौजूद हमास के हथियार इजरायल के कब्जे में जा चुके हैं। मगर गधों के जरिए हमास कम विस्फोटक से भी भारी तबाही मचा सकता है।
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