DRDO: भारत ने शनिवार को लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण करके रक्षा प्रौद्योगिकी में ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित इस मिसाइल को ओडिशा के तट से दूर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से प्रक्षेपित किया गया।
अलग अलग पेलोड ले जाने के लिए डिज़ाइन की गई हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज 1,500 किलोमीटर से अधिक है, जो इसे भारतीय सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं के शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त बनाती है। उड़ान परीक्षण डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और सशस्त्र बलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया गया।
ये शानदार उपलब्धि उन्नत हाइपरसोनिक मिसाइल प्रौद्योगिकी रखने वाले चुनिंदा देशों के समूह में भारत की स्थिति को मजबूत करती है।
ये मिसाइल हैदराबाद में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स की प्रयोगशालाओं द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और कई उद्योग भागीदारों के सहयोग से किए गए व्यापक अनुसंधान और विकास का परिणाम है। ये सहयोग रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और "मेक इन इंडिया" के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को उजागर करता है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि की तारीफ करते हुए इसे देश के लिए "ऐतिहासिक क्षण" बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण करके एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ये महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे देश को ऐसी उन्नत सैन्य क्षमताओं वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल करती है।
उन्होंने इस अभूतपूर्व सफलता में असाधारण योगदान के लिए टीम डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग भागीदारों को बधाई दी।
हाइपरसोनिक मिसाइलों की खासियत ये है कि वे मैक 5 से भी ज्यादा गति से यात्रा कर सकती हैं, जिससे उनका पता लगाना और उन्हें रोकना बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है। सफल परीक्षण भारत की अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी में बढ़ती क्षमताओं को रेखांकित करता है, जिससे इसकी रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता और राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होती है।
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