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24 के चुनाव से पहले हिंडन पर वो मोदी सरकार की चूलें हिला सकती है। क्योंकि इसमें ऐसे ऐसे खुलासे होने का दावा किया जा रहा है जो अडानी और मोदी की दोस्ती से पर्दा हटाएगी। हिंडनबर्ग की पहली रिपोर्ट जनवरी 24 को आई थी और उस रिपोर्ट ने कैसे पूरी सरकार और अडानी साम्राज्य को हिला कर रख दिया था, इसका अंदाजा आपको होगा। मगर अब जो नई रिपोर्ट आने वाली है, एक और संस्था है जिसको सी सी आर पी कहते हैं। ये एक गैर लाभकारी जांच केंद्र है जो खोजी रिपोर्टिंग करता है उसकी रिपोर्ट है।

ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में फैला हुई है और इसकी श्रंखलाएं सरकार को अस्थिर करने का काम करती हैं। सूत्र कहते हैं की अब ये भारत के एक कॉरपोरेट घराने से जुड़ा बड़ा खुलासा करने की तैयारी में है।

बहुत जल्द यानी अगले कुछ दिनों में ही ये खुलासा होने वाला है और इस खुलासे में ये पता चलेगा कि कैसे एक आम एम्पायर विशाल साम्राज्य में तब्दील हो जाता है। सरकार की मदद से कैसे कॉर्पोरेट घरानों का राजनीति के लोगों से जुड़ाव होता है। कैसे कॉर्पोरेट घरानों को बढ़ाने के लिए पॉलिटिक्स काम करती है और ये पॉलिटिक्स किसकी? ये पॉलिटिक्स नरेंद्र मोदी की।

राजनीति में हो सकता है बड़ा धमाका

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में हिंडनबर्ग रिपोर्ट की पहली कड़ी आने के बाद पहली खेप आने के बाद जांच चल रही है। सेबी 29 तारीख को अपनी रिपोर्ट देगा मगर उससे पहले अगर हिंडनबर्ग 2.0 आती है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उसका असर कितना गहरा और कितना खतरनाक हो सकता है।

हिंडन बर्ग रिपोर्ट के तुरंत बाद सोरोस ने गौतम अडानी और मोदी के रिश्तों के ऊपर एक बड़ा खुलासा किया था और ये कहा था कि दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, एक नहीं तो दूसरा नहीं। यानी अडानी साम्राज्य पर अगर चोट होती है तो असर मोदी सरकार पर जाता है और अगर मोदी सरकार पर चोट होती है तो असर अदानी साम्राज्य पर जाता है। यानी दो हज़ार 24 के चुनाव से पहले अगर ऐसे ही इंटरनेशनल एजेंसियों की रिपोर्ट्स आती रहीं तो उसका खामियाजा कहीं न कहीं मोदी सरकार को भुगतना पड़ेगा। और हो ये भी सकता है ये खामियाजा ऐसा हो कि मोदी की कुर्सी चली जाए। 

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