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बहुत जल्द भारत के कानून में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है जिसके असर से वो लोग नहीं बच पाएंगे जो कानून की आड़ लेकर मौत की सजा से बच जाते हैं।

पने सुना होगा की महामहिम (राष्ट्रपति) किसी दया याचिका पर निर्णय देते हैं तो देर रात फांसी के ठीक पहले अदालत में लोग पहुंच जाते हैं। आधी रात हाईवोल्टेज ड्रामा देखा जाता रहा है। बी एन एस एस बिल सरकार ने इस दिशा में बड़ा प्रावधान किया है। इसके बाद अब राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होगा।

मौत की सजा पाए दोषियों की दया याचिकाओं पर बहुत जल्द राष्ट्रपति का फैसला मतलब पत्थर की लकीर होगा। जी हां, नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता बिल यानि बीएनएसएस 2023 में राष्ट्रपति के फैसलों की न्यायिक समीक्षा को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत मौत की सजा को माफ करने या कम करने के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति के किसी भी आदेश के विरूद्ध अपील का रास्ता बंद कर दिया गया है।

ऐसे में कोर्ट राष्ट्रपति के फैसले की समीक्षा नहीं कर पाएगी। 

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