Up kiran,Digital Desk : राजनीति में कहा जाता है कि ढाई साल का वक्त बहुत अहम होता है, खासकर जब सत्ता में साझेदारी का अलिखित वादा हो। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने अपना आधा कार्यकाल (ढाई साल) पूरा कर लिया है, और इसी के साथ नेतृत्व परिवर्तन यानी सीएम बदलने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। जो खबरें सामने आ रही हैं, उससे तो यही लगता है कि सिद्धारमैया (Siddaramaiah) और डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच 'सत्ता की अदला-बदली' का वक्त करीब आ गया है।
विधायक बोले- "200% शिवकुमार ही बनेंगे सीएम"
इस बार हलचल सिर्फ बेंगलुरु तक सीमित नहीं है, बल्कि बात दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है। डीके शिवकुमार के समर्थक विधायक दिल्ली में डेरा जमाए हुए हैं। रामनगर के विधायक इकबाल हुसैन ने तो खुलेआम ऐलान कर दिया है। उनका आत्मविश्वास देखने लायक था, उन्होंने कहा, "मैं अपनी बात पर कायम हूं, 200% डीके शिवकुमार ही जल्द मुख्यमंत्री बनेंगे।"
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अंतिम फैसला पार्टी हाईकमान का होगा, लेकिन विधायकों की यह दौड़-भाग बता रही है कि पर्दे के पीछे खिचड़ी पक चुकी है और बस परोसने की देरी है। विधायक केएम उदय का कहना है कि उन्होंने हाईकमान से कहा है कि कैबिनेट में नए और युवा चेहरों को मौका मिले, और इस असमंजस को जल्द खत्म किया जाए।
"5-6 लोगों के बीच है गुप्त समझौता"
इस पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बयान खुद डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का आया है। जब उनसे सीएम बनने के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने बड़ी ही सधी हुई भाषा में जवाब दिया, जिसने सस्पेंस और बढ़ा दिया। उन्होंने साफ कहा कि यह कोई पब्लिक डिबेट का मुद्दा नहीं है।
शिवकुमार ने कहा, "यह हम 5-6 प्रमुख लोगों के बीच हुआ एक 'सीक्रेट डील' (गुप्त समझौता) है। मैं सार्वजनिक तौर पर बोलकर अपनी पार्टी को शर्मिंदा या कमजोर नहीं करना चाहता।" उनका यह बयान इशारा करता है कि 2023 में सरकार बनते वक्त जो बातें बंद कमरे में हुई थीं, अब उन्हें लागू करने का वक्त आ गया है। उन्होंने अपनी "अंतरात्मा" की बात भी कही, जो बताती है कि वो अब अपने हक का इंतजार कर रहे हैं।
ढाई साल का फार्मूला
याद कीजिए, जब 2023 में कर्नाटक में कांग्रेस की जीत हुई थी, तब भी सीएम पद को लेकर लंबी खींचतान चली थी। उस वक्त चर्चा थी कि ढाई साल सिद्धारमैया सीएम रहेंगे और बाकी के ढाई साल डीके शिवकुमार। अब जब सरकार ने 20 नवंबर को अपने ढाई साल पूरे कर लिए हैं, तो शिवकुमार खेमे की बेचैनी बढ़ना लाजमी है।
फिलहाल, गेंद हाईकमान के पाले में है। क्या कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान और छत्तीसगढ़ की तरह यहां भी खींचतान झेल पाएगा, या फिर शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता डीके शिवकुमार के हाथ में सौंप दी जाएगी? यह देखना काफी दिलचस्प होगा।
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