होने वाले विधानसभा इलेक्शन में बागी सियासत को सत्ता की ताजपोशी के लिए कारगर हथियार माना जा रहा है। सन् 2017 के विधानसभा इलेक्शनों के पहले भी बड़ी बगावत देवभूमि में देखने को मिली थी, जिससे भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। ऐसे राज्य में एक मर्तबा फिर बगावत के सुर देखने को मिल रे हैं।
बागी राजनीति क्या अब राज्य में सत्ता की चाबी बन गई है। सन् 2017 के इलेक्शन से पहले 18 मार्च 2016 को उत्तराखंड की राजनीति में एक भूचाल आया था। जब कांग्रेस पार्टी के 9 दिग्गज नेताओं ने कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी ज्वाइन कर ली थी। जिसमें पूर्व सीएम विजय बहुगुणा हरक सिंह रावत सुबोध उनियाल ,रेखा आर्य, शैला रानी रावत, उमेश शर्मा काऊ, प्रदीप बत्रा, कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन, शैलेंद्र मोहन सिंघल शामिल थे।
आपको बता दें कि शैलेंद्र मोहन सिंघल और शैला रानी को छोड़कर बाकी सभी इलेक्शन जीत गए। राज्य की 20 साल की राजनीति में ये अभिनव पहला था जब बड़ी बगावत हुई और उसका परिणाम भारतीय जनता पार्टी के लिए सुखद साबित हुआ और बीजेपी 70 में से 57 सीटें जीत लीं।
पिछले दिनों में धनोल्टी विधानसभा के निर्दलीय विधायक प्रीतम पवार, गंगोत्री विधानसभा के राजकुमार, निर्दलीय विधायक राम सिंह खेड़ा भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं।