भारत में आ सकता है बिजली संकट! 64 संयंत्रों के पास मात्र इतने दिन का बचा है कोयला भंडार

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नई दिल्ली। एक तरफ त्यौहारी सीजन शुरू होने वाला है वहीं दूसरी तरफ बिजली संकट बढ़ता जा रहा है। अगर कोयले का संकट गहराया तो देश भर की बिजली गुल हो सकती है। दरअसल, देश में खानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है। कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों को नॉन-पिटहेड के नाम से जाना जाता है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो इन बिजली उत्पादन केंद्र में कोयले का स्टॉक लगभग खत्म होने वाला है। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले तीन-चार दिनों में पूरा का पूरा स्टॉक ही खत्म हो जाएगा।

Electricity crisis

केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 25 बिजली संयंत्र तो ऐसे हैं जिनमें तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार बचा था। कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है। बता दें कि सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है।

कुल मिलाकर तीन अक्टूबर को 135 संयंत्रों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था, और यह चार दिन के लिए ही है। रिपोर्ट में बताया गया कि 135 संयंत्रों में से किसी के भी पास आठ या इससे ज्यादा दिन के लिए कोयले का भंडार नहीं बचा है। हालांकि, सरकार का कहना है कि दो-तीन दिनों में कोयले की आपूर्ति कर दी जाएगी। बता दें कि भारत में बिजली उत्पादन के लिए सबसे अधिक कोयले का ही इस्तेमाल होता है।

बंद हो सकती इकाइयां भी

सूत्र बताते हैं कि ओबरा की इकाइयों के पास चार दिन और अनपरा की इकाइयों के पास तीन दिन के लिए ही कोयले का भंडार बचा है। अगर जल्द ही इन इकाइयों के पास कोयला नहीं पहुंचा तो यहां भी बिजली का उत्पादन ठप हो सकता है। कोयला स्टाक में आई कमी के लिए पावर कारपोरेशन प्रबंधन की खामियां सामने आ गई हैं।

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