दिल्ली में मोदी सरकार के बाद पंजाब की भगवंत मान सरकार से लड़ते हुए किसान प्रीतम सिंह शहीद हो गए हैं। यह दावा किसान संगठनों के नेताओं ने किया है। किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानूनों के विरूद्ध दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के दौरान प्रीतम सिंह एक साल तक दिल्ली मोर्चे पर डटे रहे। वह जरूरी व्यस्तताओं के चलते चंद दिनों के लिए ही दिल्ली से गांव आये थे। अब वे पंजाब सरकार के विरुद्ध संघर्ष में शामिल होने आये।
बता दें कि लोंगोवाल में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज के दौरान ट्रॉली के नीचे आने से गांव मंडेर कलां के किसान प्रीतम सिंह की मौत के बाद मंगलवार को लोंगोवाल शहर का पूरा बाजार पूरी तरह से बंद रहा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने जहां किसान प्रीतम सिंह को शहीद का दर्जा दिया है, वहीं मंडेर कलां गांव के पीड़ित किसान परिवार का कहना है कि प्रीतम सिंह किसान संघर्ष के लिए समर्पित थे और किसानों के लिए ही उनकी मौत हुई है।
शहीद किसान की पत्नी मंजीत कौर का कहना है कि किसान प्रीतम सिंह खेती के प्रति समर्पित थे और लंबे समय से किसानों के संघर्ष से जुड़े हुए थे।
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