किराना दुकान में काम कर पढ़ाया पिता, आईएएस बनकर लड़की ने रौशन किया नाम

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नई दिल्ली: श्वेता अग्रवाल की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। किराना दुकान के कर्मचारी की यह बेटी आज जिस मुकाम पर है, वह सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है। 2016 की UPSC परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल कर श्वेता ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वाले कभी हार नहीं मानते। श्वेता आज बाधाओं को पार कर आईएएस अधिकारी हैं।

श्वेता का जन्म पश्चिम बंगाल के हुगली में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। पिता घर चलाने के लिए किराना दुकान में काम करते थे। आर्थिक रूप से उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वह श्वेता को किसी अच्छे स्कूल में पढ़ा सके। इसके बावजूद श्वेता के पिता ने अपनी बेटी को स्कूल भेजा और पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।

श्वेता भी अपने पिता की उम्मीदों पर खरी उतरी। स्कूल से लेकर कॉलेज तक उन्होंने अपनी पढ़ाई से सभी को प्रभावित किया। आमतौर पर छात्र जल्दी से यह तय नहीं कर पाते हैं कि वे जीवन में आगे क्या करना चाहते हैं, लेकिन श्वेता ने अपना लक्ष्य बहुत स्पष्ट किया था। वह किसी भी कीमत पर आईएएस बनना चाहती थी।

तैयारी के बाद वह साल 2013 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुईं और 497वीं रैंक हासिल की। यह रैंक श्वेता के दिमाग के मुताबिक नहीं थी। इसी वजह से उसने फैसला किया कि वह एक बार फिर कोशिश करेगी। दुर्भाग्य से, वह अपने प्रयास में प्रीलिम्स भी क्वालिफाई नहीं कर सकी। हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और तैयारी में लगी रहीं।

2015 में, वह दूसरी बार परीक्षा में शामिल हुई और 141 वीं रैंक के साथ आई, लेकिन इस बार भी उसे आईएएस सेवा नहीं मिली। आखिरकार 2016 की UPSC परीक्षा में 19वीं रैंक हासिल कर श्वेता ने साबित कर दिया कि मेहनत करने वालों की हार नहीं होती। आज श्वेता देश की जानी-मानी आईएएस अफसर हैं।

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