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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय जनता पार्टी (BJP) बीते कुछ महीनों से अपने नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को टालती आ रही है। इसके पीछे का सबसे अहम कारण पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के बीच के रिश्तों में आई तल्खी मानी जा रही थी। हालांकि अब दोनों ही संगठनों के शीर्ष नेतृत्व ने मतभेद मिटाकर तालमेल बढ़ाने की पहल की है। इस बदलाव के बाद अब इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि भाजपा जल्द ही अपने अगले अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर सकती है।
तल्खी की वजह और उसके नतीजे
2014 के आम चुनाव से पहले भाजपा के एक वरिष्ठ नेता द्वारा दिए गए एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी। बयान में यह इशारा किया गया था कि भाजपा अब आरएसएस की जरूरत महसूस नहीं करती। यह टिप्पणी संघ को रास नहीं आई। इसका असर भाजपा के चुनावी प्रदर्शन पर भी देखने को मिला, जहां ‘400 पार’ का नारा देने वाली पार्टी 240 सीटों पर ही सिमट गई।
सूत्रों के मुताबिक, संघ के स्वयंसेवकों ने उस चुनाव में पार्टी के लिए पहले जैसी सक्रियता नहीं दिखाई थी।
बदलती रणनीति और रिश्तों में गर्माहट
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से भाषण दिया, तो उसमें उन्होंने आरएसएस को दुनिया का सबसे बड़ा NGO बताते हुए उसकी खुलकर तारीफ की। इसके कुछ ही दिन बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम के दौरान यह कहकर सबको चौंका दिया कि सेवा हो या राजनीति, इसमें रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं होती। यह बयान उस समय और अहम हो गया जब यह याद दिलाया गया कि प्रधानमंत्री इस साल 75 वर्ष के होने जा रहे हैं — वही उम्र सीमा जिसे संघ पहले रिटायरमेंट के लिए उपयुक्त मानता था।
अमित शाह का स्पष्ट समर्थन
गृह मंत्री अमित शाह ने भी हाल ही में आरएसएस को लेकर कई सकारात्मक बयान दिए हैं। उन्होंने खुद को स्वयंसेवक बताते हुए गर्व जताया और कहा कि संघ का हिस्सा होना कभी भी कमजोरी नहीं हो सकता। साथ ही, उन्होंने कहा कि जब तक भारत फिर से वैश्विक शक्ति नहीं बनता, स्वयंसेवकों का काम जारी रहेगा।
अगला अध्यक्ष कौन?
जैसे-जैसे भाजपा और संघ के बीच संवाद बेहतर होता जा रहा है, वैसे-वैसे पार्टी के अगले अध्यक्ष को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। सबसे आगे जिन नामों की चर्चा है, उनमें शिवराज सिंह चौहान सबसे प्रमुख हैं। वह मौजूदा सरकार में मंत्री हैं और संगठनात्मक अनुभव भी रखते हैं।
इसके अलावा नितिन गडकरी का नाम भी एक बार फिर सुर्खियों में है, हालांकि पिछले कुछ वर्षों में उनके और पार्टी नेतृत्व के बीच दूरी की बातें भी सामने आई थीं। वहीं, मनोहर लाल खट्टर और धर्मेंद्र प्रधान जैसे नेता भी इस रेस में शामिल माने जा रहे हैं।