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मोदी सरकार ने कई पुरानी बीमारियों की दवाओं और खाद्य पदार्थों को बुनियादी आयात कर (सीमा शुल्क) से पूरी तरह मुक्त करने का निर्णय लिया है। यह फैसला एक अप्रैल से प्रभावी होगा।  कुछ दुर्लभ बीमारियों के लिए 10 किलो के बच्चे के उपचार की वार्षिक लागत 10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक है। अब ये दवाएं सस्ती होंगी।

वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 'नेशनल क्रॉनिक डिजीज पॉलिसी 2021' के अंतर्गत सूचीबद्ध सभी बीमारियों के उपचार के साथ-साथ निजी इस्तेमाल के लिए जरूरी सभी दवाओं पर सीमा शुल्क हटा दिया गया है. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी या ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के उपचार के लिए आवश्यक दवाओं पर सीमा शुल्क पहले ही हटा दिया गया है। सरकार से अन्य पुरानी बीमारियों की दवाओं पर भी यह छूट देने की मांग की गई थी। इसी के तहत ये निर्णय लिया गया है।

इनमें पेम्ब्रोलिज़ुमाब (केट्रूडा) शामिल है, जो अलग अलग कैंसर के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। दवाओं पर करीब 10 % सीमा शुल्क लगता है। जीवन रक्षक दवाओं और टीकों पर रियायती दर पर 5% सीमा शुल्क लगता है। इन बीमारियों की दवाइयां और खाने-पीने की खास चीजें बहुत महंगी होती हैं। साथ ही इनका आयात भी करना पड़ता है।

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