
नई दिल्ली॥ पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से लोगों को कुछ राहत देने के लिए अभी तक 4 प्रदेश ईंधन पर टैक्स में कटौती कर चुके हैं। इसके बाद बाकी प्रदेशों तथा केंद्र सरकार पर भी इस बात का दबाव बढ़ता नजर आ रहा है कि पेट्रोल तथा डीजल पर कर में कटौती लाई जावे।
राजस्थान सरकार बीते महीने पेट्रोल-डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) में 2-2 फीसदी की कटौती का ऐलान कर चुकी है। इलेक्शन वाले माहौल के बीच वेस्ट बंगाल सरकार ने भी रविवार को पेट्रोल और डीजल पर वैट में प्रति लीटर 1 रुपये की कटौती की है। असम सरकार ने भी उस 5 रुपये के एक्सट्रा टैक्स को हटा दिया है जो बीते वर्ष कोरोना काल के मध्य पेट्रोल और डीजल पर लगाया गया था।
इसी प्रकार मेघालय की सरकार ने भी लोगों को थोड़ी राहत देते हुए पेट्रोल पर टैक्स में सात दशमलव चार रुपये एवं डीजल पर 7.1 रुपये प्रति लीटर तक की भारी कटौती की है। दूसरी ओर मोदी सरकार निरंतर इस बात से इंकार करती रही है कि पेट्रोल और डीजल के दामों के मामले में वह कुछ कर सकती है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद में दो टूक कहा कि इस मामले मेंमोदी सरकार कुछ नहीं कर सकती, क्योंकि तेल की कीमतें तय करने का अधिकार अब तेल कंपनियों के पास है।
पीएम मोदी ने भी हाल में कहा कि यदि पुरानी सरकारों ने कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम किया होता, तो राष्ट्र को महंगे तेल का बोझ नहीं सहन करना पड़ता। इससे ऐसा लग रहा है कि सरकार अभी करों में कटौती करने के मूड में नहीं है।
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