पार्षद ताहिर हुसैन को बड़ी राहत, अयोग्य ठहराने के नगर निगम के फैसले पर हाईकोर्ट की रोक

img

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में बंद ताहिर हुसैन को पार्षद के रूप में अयोग्य ठहराए जाने के पूर्वी दिल्ली नगर निगम के फैसले पर रोक लगा दी है। जस्टिस नाजमी वजीरी की बेंच ने ताहिर हुसैन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्वी दिल्ली नगर निगम को नोटिस जारी किया है।

tahir Hussain-

याचिका ताहिर हुसैन की ओर से उनकी पत्नी ने दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से वकील रिजवान ने कहा कि ताहिर हुसैन को झूठे मामले में हिरासत में रखा गया है। हिरासत में होने की वजह से वे नगर निगम की बैठक में शामिल नहीं हो पाए। इस आधार पर उन्हें अयोग्य घोषित नहीं किया जा सकता। दरअसल, नगर निगम ने बिना सूचना के बैठक में अनुपस्थित होने पर ताहिर हुसैन को पार्षद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया।

पिछले 26 अगस्त को पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने ताहिर हुसैन की सदस्यता समाप्त करने का प्रस्ताव पास किया था। ताहिर हुसैन पूर्वी दिल्ली नगर निगम की लगातार तीन बैठकों में हिस्सा नहीं लिया था। ताहिर हुसैन नेहरू विहार वार्ड से आम आदमी पार्टी के पार्षद के रूप में जीते थे। ताहिर हुसैन को दिल्ली दंगों के मामले में पिछले 5 मार्च को गिरफ्तार किया गया था।

पिछले 2 जून को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दायर की थी। चार्जशीट मेंपार्षद ताहिर हुसैन समेत 15 लोगो को आरोपित बनाया गया है। चार्जशीट में ताहिर हुसैन को मास्टरमाइंड बताया गया है। चार्जशीट में पार्षद ताहिर हुसैन के भाई शाह आलम समेत 15 लोगों को आरोपित बनाया गया है।

क्राइम ब्रांच ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि हिंसा के वक्त आरोपित ताहिर हुसैन अपनी छत पर था। ताहिर हुसैन पर हिंसा की साजिश रचने का आरोप है। चार्जशीट में कहा गया है कि हिंसा कराने के लिए ताहिर हुसैन ने एक करोड़ 30 लाख रुपये खर्च किए थे। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और 200 से अधिक लोग घायल हो गए थे। साथ ही सरकारी और निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा था।

Related News