img

Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड के पहाड़ी शहर नैनीताल की संकरी सड़कों और बढ़ते पर्यटन दबाव ने वर्षों से पार्किंग की समस्या को एक अंतहीन पहेली बना दिया है। इस गुत्थी को सुलझाने की दिशा में  केंद्र सरकार ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने औपचारिक निर्देश जारी किए हैं  जिसके तहत 19वीं सदी के एक भव्य ऐतिहासिक धरोहर  मेट्रोपोल होटल का विशाल परिसर अब उत्तराखंड सरकार को अस्थायी पार्किंग सुविधा के रूप में सौंपा जाएगा।

मेट्रोपोल: समय की परतों में लिपटी एक गाथा

1880 में बने इस होटल की दीवारें कभी रॉयल्टी की गवाह हुआ करती थीं। यह आलीशान इमारत एक समय महमूदाबाद के राजा की निजी संपत्ति थी — ऊँचे स्तंभ  चौड़े बरामदे और झील की ओर खुलती बालकनी  जहां से सूरज की पहली किरणें झील के पानी पर पड़ती थीं  मानो किसी राजा की सलामी हो। अपने सुनहरे दौर में  मेट्रोपोल केवल एक होटल नहीं था  यह एक ऐतिहासिक मंच था जहाँ भारत और पाकिस्तान के बनने से पहले की कहानियाँ बुनती थीं।

यह वही जगह है जहाँ पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना अपने जीवन के सबसे निजी क्षण — अपना हनीमून — मनाने आए थे। कल्पना कीजिए  शांत झील किनारे हाथ में हाथ डाले चलते जिन्ना और उनकी नवविवाहिता  और उनके पीछे होटल की अलंकृत सीढ़ियाँ  जो आज भी खंडहरों में अपने भूतकाल की प्रतिध्वनि सुनाती हैं।

धरोहर से सुविधा तक का सफर

1960 के दशक में जब इसे 'शत्रु संपत्ति' घोषित किया गया  तब से यह कभी की रौनक धीरे-धीरे धुंधली होती चली गई। भव्यता पर जंग लग गया  और खुली जमीन पर झुग्गियां उग आईं जैसे समय ने अपने निशान छोड़ दिए हों। दशकों तक उपेक्षा और अतिक्रमण के कारण यह 10 एकड़ में फैला क्षेत्र एक निष्क्रिय स्मारक बनकर रह गया।

लेकिन अब  समय फिर से करवट ले रहा है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के विशेष अनुरोध पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस भूखंड को नैनीताल की भीड़भाड़ कम करने और नागरिकों की सुविधा के लिए अस्थायी पार्किंग में परिवर्तित करने की मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव में शहर की भीषण पार्किंग कमी को रेखांकित किया था  जिसमें यह उल्लेख था कि मेट्रोपोल का परिसर 1 000 से अधिक वाहनों को समायोजित करने की क्षमता रखता है — एक ऐसी राहत जो नैनीताल जैसे पर्यटन-निर्भर शहर के लिए जीवनरेखा बन सकती है।

नवजीवन की ओर एक कदम

राज्य सरकार की विज्ञप्ति के अनुसार  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री को औपचारिक स्वीकृति-पत्र भेजा है। इस ऐतिहासिक कदम के लिए धन्यवाद देते हुए धामी ने कहा  "यह निर्णय न केवल शहर के यातायात को सुगम बनाएगा  बल्कि एक धरोहर को उसके नये अवतार में पुनर्जीवित करने का कार्य भी करेगा।"

गौरतलब है कि 2023 में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद  इस परिसर में रह रहे लगभग 134 परिवारों को बेदखल किया गया था  जिससे इस क्षेत्र को पुनः उपयोग योग्य बनाने की दिशा में पहला ठोस कदम संभव हुआ। अक्टूबर 2024 में  गृह मंत्रालय के अधीन 'शत्रु संपत्ति संरक्षक कार्यालय' ने नैनीताल के जिलाधिकारी को एक अस्थायी अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी किया  जिससे इस ऐतिहासिक परिसर में सतह पार्किंग की अनुमति दी गई।

एक विरासत जो अब जनता की सेवा में होगी

आज जब हम इस निर्णय को देखते हैं  तो यह सिर्फ एक प्रशासकीय फैसला नहीं लगता — यह उस विरासत को फिर से जीवित करने की कोशिश है  जो इतिहास की किताबों में दबती जा रही थी। मेट्रोपोल अब सिर्फ एक अतीत नहीं  बल्कि एक पुनर्नवा भविष्य बन सकता है — जहाँ किसी ज़माने के शाही कदमों की गूंज के बीच अब आम नागरिक अपनी कारें खड़ी करेंगे।

 

--Advertisement--