भारत के कई राज्यों में मस्जिदों पर लाउडस्पीकर लगाने का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहता है। बीते वर्ष ये अंक मुख्य रूप से चर्चित रहा था। देश भर की मस्जिदों से अनाधिकृत मस्जिदों को हटाने के लिए हिंदू संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। भारत में जहां इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम बहुल देश सऊदी अरब ने नमाज के दौरान लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। सरकार ने रमजान के महीने के लिए गाइडलाइंस जारी की है।
रमजान का महीना 23 मार्च से शुरू होगा। रमजान से पहले सऊदी अरब सरकार के इस्लामिक मंत्रालय ने गाइडलाइन जारी की है। इसने रमजान के दौरान मस्जिदों में लाउडस्पीकर और इफ्तार पार्टियों के माध्यम से नमाज पढ़ने पर प्रतिबंध लगा दिया है। सऊदी हुकूमत ने इस संबंध में 10 दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह रमजान के दौरान दान मांगने पर भी रोक लगाता है।
नए निर्देशों में क्या है?
- नमाज पढ़ते वक्त लाउडस्पीकर का उपयोग नहीं किया जा सकता।
- रमजान के दौरान चंदा और चंदा मांगने पर रोक।
- रमजान में मस्जिद के भीतर खाना न खाएं। दावत को बाहरी क्षेत्र में परोसा जा सकता है। इस दावत की योजना निगरानी करने वाले इमामों के हाथ में होगी।
- रमजान के पूरे महीने में एक इमाम मस्जिद में मौजूद रहेगा। जरूरत पड़ने पर वे छुट्टी ले सकते हैं।
- इमाम वक्त पर नमाज खत्म करेंगे। ताकि दूसरों को सही वक्त मिल सके।
- मस्जिदों में बच्चों के नमाज पढ़ने पर रोक।
- एतिकाफ यानी रमजान के महीने में दुनिया से एकांत में रहने के लिए मस्जिद में अनुमति लेनी पड़ती है।
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