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चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान तीन के उतरने के साथ ही अब नई रेस शुरू होती दिख रही है। इस दौड़ में अमेरिका, रूस, चीन और भारत के साथ ही जापान, इजराइल जैसे देश भी शामिल होते दिख रहे हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट में इस बारे में दावा किया गया है।

दरअसल, 60 के दशक में चांद पर पहले पहुंचने और वहां पर इंसान को पहले भेजने के लिए तत्कालीन सोवियत संघ जो अब रूस बन चुका है और अमेरिका के बीच जबरजस्त रेस थी। यही दोनों देश उस वक्त दुनिया की सबसे बड़ी सुपर पावर माने जाते थे। उस वक्त इन दोनों देशों के बीच कोल्ड वॉर भी चल रही थी और दोनों देश इस स्पेस की रेस में नंबर वन बनना चाहते थे।

इस दौड़ में शुरू में रूस आगे निकलता दिखा। रूस ने 12 अप्रैल 1961 को अपना यान इस स्पेस में भेज दिया और रूस के यूरी गागरिन इस स्पेस में जाने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए। यही नहीं, तीन फरवरी 1966 में रूस का एक स्पेसक्राफ्ट लूना तीन चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला यान बन गया। इससे अमेरिका में हलचल मच गई और अब अगला टारगेट था चांद पर इंसान को भेजना। चांद पर सबसे पहले इंसान को भेजने की रेस में अमेरिका आगे निकला और 20 जुलाई 1969 को अमेरिका का यान अपोलो 11 चांद की सतह पर लैंड हो गया और अमेरिका के नील आर्मस्ट्रांग चांद की सतह पर कदम रखने वाले दुनिया के पहले इंसान बन गए।

इसके बाद रूस और अमेरिका ने चांद पर कई मिशन भेजे और 70 का दशक खत्म होते होते चांद के लिए चल गई। रेस के बारे में यह धारणा बन गई कि यह रेस अब खत्म हो चुकी है। हालांकि रूस और अमेरिका के अलावा चांद संबंधी रिसर्च के लिए चीन, भारत सहित तमाम देशों ने अपने इस स्पेसक्राफ्ट भेजे, मगर रेस जैसी कोई बात नहीं दिखी।

जानें कितने देश भेज चुके हैं चांद पर स्पेसक्राफ्ट

अभी तक 12 देश चांद संबंधी रिसर्च के लिए इस स्पेसक्राफ्ट भेज चुके हैं, जिसमें से चंद्रयान की सॉफ्ट लैंडिंग के साथ ही चार देश ऐसे हो गए हैं जिन्होंने चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की है। बीबीसी की एक रिपोर्ट को मानें तो अब दुनिया में चांद को लेकर नई स्पेस रेस शुरू हो चुकी है, जो कुछ ही सालों में अपने चरम पर पहुंच सकती है या रेस। भारत के चंद्रयान तीन के साउथ पोल पर लैंडिंग के साथ ही शुरू हो गई है। 

दरअसल साल 2009 में चंद्रयान 1 में लगी नासा की एक मशीन ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर यानी साउथ पोल पर पानी होने की जानकारी दी थी। इसी साल नासा का एक प्रोब भी चांद के साउथ पोल से टकराया था और उसने भी पानी होने की पुष्टि की थी। इसके बाद से ही मून मिशन में लगे तमाम देशों की नजर साउथ पोल की ओर लग गई। जब भारत का चंद्रयान तीन साउथ पोल पर पहुँचने के लिए 14 जुलाई को लॉन्च हुआ तो उसके कुछ दिन बाद ही यानि 11 अगस्त को रूस का लूना 25 भी लॉन्च कर दिया गया। उसे भी चांद के साउथ पोल पर ही सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी और चंद्रयान तीन से पहले लैंडिंग की संभावना थी मगर वह अंतिम वक्त में क्रैश हो गया।

चंद्रयान तीन बेशक साउथ पोल पर पहुँच गया है, मगर अमेरिका साल 2025 तक चांद के साउथ पोल पर इंसान युक्त स्पेसक्राफ्ट भेजने का प्लान बना चुका है। यानी अमेरिका का टारगेट है चांद के साउथ पोल पर भी अपने इंसान को भेजना। वहीं चीन ने भी इस दशक के अंत तक चांद के साउथ पोल पर स्पेसक्राफ्ट भेजने की तैयारी की है। चांद इस जगह सिर्फ स्पेसक्राफ्ट ही नहीं इंसान युक्त स्पेसक्राफ्ट भी भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा मून संबंधी रिसर्च के लिए अपने मिशन भेज चुके जापान, संयुक्त अरब अमीरात और इजराइल भी पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश में लगे हुए हैं और दावा किया जा रहा है कि इन सभी का टारगेट चांद का साउथ पोल है।