खबर का असर:  अब NHM में अफसर अपने चहेतों के मनमुताबिक नहीं बढा सकेंगे मानदेय

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लखनऊ। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत कार्यरत अफसरों के चहेते संविदा कर्मियों का मानदेय मनमाने तरीके से बढाया गया। तब https://upkiran.org/ ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। NHM के प्रदेश भर में कार्यरत अन्य संविदा कर्मियों का भी यही दर्द था कि चहेतों के ही मानदेय में बढोत्तरी हो रही है। मामले ने तूल पकड़ा तो शासन के हस्तक्षेप के बाद तत्काल इस पर रोक भी लगाई गई। पर यह संविदाकर्मी नहीं मानें और अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद को अंधेरे में रखकर अपनी बढी हुई सैलरी पर अनुमोदन प्राप्त कर लिया। अब मिशन निदेशक ने अपने नये आदेश से उनकी बढी हुई सैलरी रोक दी है।

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मिशन निदेश अपर्णा उपाध्याय ने दिव्या शिवाजी और मीनाक्षी दिवेदी के बढे हुए मानदेय के संबंध में पूर्व में जारी सभी आदेशों को निरस्त कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा है कि मानदेय में यह बढोत्तरी नीति निर्धारण के अभाव में कुछ व्यक्तियों को अन्य के सापेक्ष लाभ देने की परिभाषा में आता है। इससे केंद्र सरकार के दिेशा निर्देशों का भी उल्लंघन होता है। उनके बढे हुए मानदेय के लिए कार्यकारी समिति का अनुमोदन नहीं लिया गया था। इसलिए उन्होंने महाप्रबंधक मानव संसाधन के यहां से निर्गत इससे जुड़े पूर्व के सभी आदेशों को निरस्त कर दिया है।

आदेश में यह भी कहा गया है कि NHM के तहत संविदा कर्मियों के मानदेय में वृद्धि/रेशनलाइजेशन की जाती है तो विभिन्न कार्यक्रमों के सभी कैडरों के लिए यह प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए। जिससे पारदर्शिता के साथ राज्य स्वास्थ्य समिति के सभी संविदा कर्मियों के लिए समान प्रक्रिया लागू हो। जिसमें सभी संविदाकर्मियों को समान अवसर प्राप्त हो सके।

क्या है मामला

दरअसल बीते वर्ष NVBDCP कार्यक्रम में कंसलटेंट के पद पर कार्यरत दिव्या शिवाजी की सैलरी अचानक 22 हजार से बढकर 44 हजार हो गई। इसी तरह NELP कार्यक्रम में बीएफओ कम एडमिन आफिसर के पद पर नियुक्त संविदाकर्मी मीनाक्षी द्विवेदी की सैलरी 33 हजार से बढकर 46 हजार हो गई थी। उन संविदाकर्मियों की सैलरी पहले से दोगुनी या डेढ गुनी बढाई गई थी। जबकि नियमों के मुताबिक संविदा कर्मियों की सैलरी में एक साल की सेवा पूरी होने पर 5 फीसदी ही बढोत्तरी की जा सकती है। यह संविदाकर्मी इतने शातिर हैं कि साल दर साल अपनी बढी हुई सैलरी का प्रस्ताव एनएचएम के अफसरों की मिलीभगत से केंद्र को भेज रहे थे और राज्य में उसी पर अप्रूवल लेकर भुगतान की कोशिश में थे। 

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