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Up kiran,Digital Desk : पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर भूचाल आने वाला है। जेल में बंद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी 'पीटीआई' (Pakistan Tehreek-e-Insaaf) ने अब आर-पार की लड़ाई का मन बना लिया है। शहबाज शरीफ की मौजूदा सरकार की नींद उड़ाने के लिए पीटीआई एक 'श्वेत पत्र' (White Paper) लाने जा रही है, जो सरकार की कथित नाकामी और भ्रष्टाचार का काला चिट्ठा होगा।

आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि इमरान खान की पार्टी का यह नया दांव क्या है और इससे पाकिस्तान की सियासत में क्या खलबली मचने वाली है।

पाकिस्तान में सियासी ड्रामा कभी खत्म नहीं होता। एक तरफ इमरान खान (Imran Khan) जेल में हैं, तो दूसरी तरफ उनकी पार्टी पीटीआई अब शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने जा रही है। पीटीआई ने फैसला किया है कि वह सरकार के खिलाफ एक 'श्वेत पत्र' जारी करेगी।

आप सोच रहे होंगे कि यह श्वेत पत्र क्या है? आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा दस्तावेज या रिपोर्ट होगी, जिसमें सरकार की गलतियों, घोटालों और नाकामियों का कच्चा-चिट्ठा सबूतों के साथ पेश किया जाएगा।

किन मुद्दों पर घिरेगी सरकार?

पार्टी के वरिष्ठ नेता असद कैसर ने साफ कर दिया है कि उनकी तैयारी पूरी है। अलग-अलग टीमें दिन-रात काम कर रही हैं और अगले महीने इस श्वेत पत्र को जनता के सामने रख दिया जाएगा। पीटीआई का दावा है कि उनके पास पक्के सबूत हैं।

इस श्वेत पत्र में मुख्य रूप से इन 5 मुद्दों पर सरकार को घेरा जाएगा:

  1. चुनाव में धांधली: हाल ही में हुए उपचुनावों, खासकर हरिपुर (Haripur) में जिस तरह नतीजे आए, उसे पीटीआई 'दिनदहाड़े चोरी' बता रही है। उनका कहना है कि फॉर्म 45 होने के बावजूद नतीजे बदल दिए गए।
  2. भ्रष्टाचार: मौजूदा सरकार में हुए कथित घोटालों का जिक्र होगा।
  3. आर्थिक मंदी: पाकिस्तान में महंगाई आसमान छू रही है और अर्थव्यवस्था गर्त में है। पीटीआई बताएगी कि कैसे सरकार की नीतियों ने देश को कंगाल कर दिया।
  4. खराब कानून-व्यवस्था: देश में बढ़ते अपराध और असुरक्षा का मुद्दा उठाया जाएगा।
  5. गलत कानून: पीटीआई का आरोप है कि सरकार ने जितने भी नए कानून बनाए हैं, वो जनता के भले के लिए नहीं, बल्कि खुद को बचाने के लिए बनाए हैं।

"हमारे दौर से तुलना करेंगे"

असद कैसर ने एक दिलचस्प बात कही। उन्होंने बताया कि इस रिपोर्ट में पीटीआई के कार्यकाल और मौजूदा सरकार के कामकाज की तुलना (Comparison) की जाएगी। मकसद यह दिखाना है कि जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे, तब हालात कितने बेहतर थे और अब देश कहां खड़ा है।

कौन बना रहा है यह रिपोर्ट?

पीटीआई ने इस काम के लिए अपनी बेस्ट टीम लगाई है। कानूनी पेचीदगियों को समझने के लिए महासचिव सलमान अकरम राजा (Salman Akram Raja) मोर्चा संभाल रहे हैं। वहीं, गिरती अर्थव्यवस्था और भ्रष्टाचार की पोल खोलने का जिम्मा तैमूर खान झगरा, मुहम्मद जुबैर और मुजम्मिल असलम जैसे एक्सपर्ट्स को दिया गया है।

"जनता के लिए एक भी कानून नहीं बना"

सलमान अकरम राजा का कहना है कि शहबाज सरकार ने पिछले कुछ महीनों में संसद में धड़ाधड़ बिल पास किए, लेकिन उनमें से एक भी ऐसा नहीं था जिससे आम आदमी की कोई समस्या हल हो सके। उन्होंने चुनाव आयोग (ECP) पर भी दोहरे रवैये का आरोप लगाया। उनका कहना है कि सरकारी दबाव के बावजूद हरिपुर में अधिकारियों ने सच बोलने की कोशिश की।

कुल मिलाकर, इमरान खान की रिहाई को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच यह श्वेत पत्र राजनीति की आग में घी डालने का काम करेगा। अब देखना यह होगा कि शहबाज शरीफ इस वार का जवाब कैसे देते हैं।