बर्फीले पहाड़ों पर युद्ध लड़ने में भारत सक्षम, चीन के सैनिकों को नहीं मिला है इतने तापामान का वास्तविक परीक्षण

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नई दिल्ली, 14 सितम्बर। कारगिल में 18 हजार फीट ऊंची बर्फ की चोटियों से पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने का अनुभव रखने वाली भारतीय सेना के लिए लद्दाख की खून जमा देने वाली बर्फीली पहाड़ियां कोई मायने नहीं रखतीं। चीन से तनातनी फिलहाल आने वाले ठंड के दिनों तक खत्म होती नहीं दिखती, इसलिए सेना ने ठंड के दिनोंं में भी चीनियों से मोर्चा संभालने के इरादे से खुद को तैयार कर लिया है। लद्दाख के उच्च ऊंचाई वाले युद्ध क्षेत्र में विशेषज्ञता वाले भारतीय बल तैनात हैं।

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 (-) 50 डिग्री सेंटीग्रेड में रहने का वास्तविक प्रशिक्षण नहीं

लद्दाख की बर्फीले पहाड़ियों पर उन्हीं भारतीय सैनिकों को तैनात किया गया है जिन्हें दुनिया के सबसे ऊंचे और सबसे ठंडे युद्ध क्षेत्र सियाचिन में ग्लेशियर पर (-) 50 डिग्री सेंटीग्रेड में रहने का वास्तविक अनुभव है। इसके विपरीत किसी भी चीनी सैनिक को अंटार्कटिक तरह की स्थिति में (-) 50 डिग्री सेंटीग्रेड में रहने का वास्तविक प्रशिक्षण नहीं है।

यह इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि भारतीय सेना ने अपनी रणनीति बनाने में इसका ध्यान रखा है। दरअसल भारतीय सैनिक पिछले 3 दशकों से कश्मीर की घाटी में हर रोज आतंकवाद रोधी अभियानों में लगे हुए हैं। एलएसी पर लंबी तैनाती के लिए तैयारी के लिहाज से रक्षा मंत्रालय ने भी सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री, आवास, ईंधन, विशेष कपड़े, जूते के साथ ही अतिरिक्त सैनिकों और वाहनों की गणना करके इंतजाम शुरू कर दिए हैं।

उच्च ऊंचाई वाले युद्ध के मामले में विशेषज्ञों का मानना है कि भारत चीन पर बढ़त बनाए हुए है। हॉवर्ड केनेडी स्कूल की बेलफर सेंटर फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स की एक रिपोर्ट बताती है कि हिमालयी रेंज में भारतीय सशस्त्र बल चीन की सेना को हरा सकते हैं और विशेषज्ञों को गलत साबित कर सकते हैं कि भारत सैन्य ताकत में चीन से पीछे है।

कागज पर भले चीन भारत से अधिक मजबूत दिखाई दे सकता है लेकिन वास्तव में भारतीय सैनिकों को अत्यधिक ठंडी जलवायु में लड़ने के लिए बेहतर सुसज्जित और प्रशिक्षित किया जाता है। चीन के पास भारत की तुलना में बड़ा रक्षा बजट है लेकिन युद्ध पैसे से ज्यादा लड़ाकू जवानों के हौसले और जज्बे से लड़ा जाता है। चीन के पास अधिक हथियार हो सकते हैं, लेकिन ठंड में युद्ध लड़ने के अनुभव में भारत आगे है। भारत के पास लगभग 3.4 मिलियन सैनिक हैं जबकि चीन के पास 2.7 मिलियन हैं।

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